Recents in Beach

कोश विज्ञान

कोशविज्ञान को अनुप्रयोग भाषाविज्ञान को शाखा मानने से पहले हमें सर्वप्रथम कोशविज्ञान और अनुप्रयुकत्त भाषाविज्ञान की संकल्पना को समझ लेना आवश्यक है।

कोशविज्ञान-कोशविज्ञान में भाषा के समस्त अर्थवान तत्वों को वर्णातुक्रम से सूचीबद्ध किया जाता है। इस कार्य को सम्पन्न करने की क्या प्रक्रिया है (कोश-निर्माण-प्रक्रिया)? शब्दों के अर्थ किस आधार पर निर्धारित होते हैं? शब्दक्रम का निश्चित रूप क्या है? व्युत्पत्ति का शब्दों के अर्थ पर क्‍या प्रभाव पड़ता है? आदि बातों का अध्ययन कोशविज्ञान में होता है। अर्थ के आधार पर शब्दों को पर्यायता, विलोमता आदि की जानकारी कोशविज्ञान से प्राप्त होती है। अन्य शब्दों में, “शब्दों के संदर्भ में भाषिक सूचनाओं को क्रमबद्ध रूप में व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने की कला हो “कोशविज्ञान'' है। यह अच्छे कोश के निर्माण में अत्यन्त हो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अनुप्रयोग/अनुप्रयुक्त/ प्रायोगिक भाषा विज्ञान-भाषा विज्ञान या भाषा का अनुप्रयोग तब प्रारंभ होता है, जब किसी भाषा सिद्धान्त या भाषा-विवरण का प्रयोग एक ऐसे उद्देश्य/प्रयोजन के लिये किया जाता है, जो भाषाविज्ञान के बाहर माना जाता है। अत: अनुप्रयुक्त भाषा, वैज्ञानिक सिद्धान्तों का उपभोक्ता होता है और अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान उपभोवता सापेक्ष अत: कहा जा सकता है कि ““अनुप्रयुक्त भाषा विज्ञान की वह शाखा है, जिसका मुख्य लक्ष्य भाषा वैज्ञानिक सिद्धान्तों एवं प्रणाली द्वारा उन भाषायी समस्याओं का पता लगाना है और उनका समाधान ढूँढना है, जो भाषा इतर विषय क्षेत्रों के अनुभव से सम्बद्ध होती है। इस प्रकार इसका लक्ष्य हैं-भाषा-अधिगम प्रक्रिया को सार्थक बनाना, देशी-विदेशी भाषाओं का अध्ययन, कोश-निर्माण, विभिन्‍न शिक्षण सामग्रियों से परिचय कराना एवं उनका उपयोग सिखाना, भाषा-सर्वेक्षण के कार्य का व्यावहारिक ज्ञान देना आदि।

बस्तुत: आज जबकि विश्य ने ग्लोबल विलेज का रूप धारण कर लिया है और समाज का ढाँचा भी जटिल हो गया है। ऐसे में कोश मात्र एक संदर्भ ग्रंथ ही नहीं है, बल्कि इसकी उपयोगिता विभिन्‍न बहुभाषी समुदायों के बीच उनकी आवश्यकता के अनुरूप भी बढ़ गयी है। वर्तमान में कोशविज्ञान का अध्ययन-अध्यापन का कार्य भी अनुप्रयुवत भाषाविज्ञान की अन्य शाखाओं के साथ भी होने लगा है। अत: कोशविज्ञान अनुप्रयुवत भाषाविज्ञान की हो एक शाखा है।

चूंकि मानव को आवश्यकताएँ अनन्त हैं और इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य सदैव प्रयत्नशील रहता है। वह विभिन्‍न भाषिक समुदायों के बोच आवश्यकता पूर्ति हेतु अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है। भाषिक इकाइयों; जैसे-शब्द-उच्चारण, अर्थ-प्रयोग, पर्यायवाची शब्दों, भाषा-विकस्पों का प्रयोग करता है, जिसके लिए कोश अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण हो जाता है। अनुप्रयुक्त भाषा विज्ञान तथा अन्य मानव विज्ञान में विभिन्‍न प्रकार के उपलब्ध सामग्रियों को मदद से कोशविज्ञान की समस्याओं का निराकरण किया जाता है।

इस प्रकार अनुप्रयुकत भाषाविज्ञान, कोशविज्ञान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है; जैसे-वाक्य संरचना का प्रयोग, व्याकरणिक कोटियों के निर्धारण के लिए व्याकरण, वर्तनी और ध्वनि-संरचना के लिए स्वनिमविज्ञान, ध्वनिविज्ञान आदि से सहायता कोश विज्ञान को प्राप्त होती है। बोलियों और कोशों के लिए बोली विज्ञान की आवश्यकता कोश निर्माण के लिए अत्यन्त उपयोगी है। इसके लिए कोशकार को क्षेत्र-पद्धति एवं सर्वेक्षण प्रणाली की आवश्यकता पड़ती है।

अनुप्रयुक्त भाषा के अन्तर्गत ही किन्‍्हीं दो भाषाओं को तुलना की जाती है, जिससे द्विभाषी कोशों को समझने में किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान के अन्तर्गत ही शब्दों और अथों के काल-निर्धारण को समझने में सहायता मिलती है। इसी के आधार पर कोशकार कोश-प्रविष्टि में अथों का एक व्यवस्थित क्रम निर्धारित करता है।

निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि कोशविज्ञान अनुप्रयोग भाषा विज्ञान की ही एक शाखा के रूप में मान्य है।

Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE

For PDF copy of Solved Assignment

WhatsApp Us - 9113311883(Paid)

Post a Comment

0 Comments

close