कांग्रेस को अपने भावी काम की दिशा जिन स्थितियों के चलते तय करनी पड़ी वे थीं :
· क्रिप्स मिशन की असफलता,
· जापानी सेना का भारत की सीमाओं तक आ पहुँचना,
· बढ़ती हुई कीमतें और खाद्य आपूर्ति की कमी, और
· कांग्रेस के अंदर अलग-अलग मत।
कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें भारत पर हमला करने वाली किसी भी विदेशी ताकत के साथ पूर्ण अहिंसक असहयोग करने का आह्वान किया गया (मई, 1942)। राजगोपालाचारी और मद्रास के कुछ अन्य कांग्रेसियों ने एक प्रस्ताव पारित करवाने का प्रयास किया जिसमें कहा गया था कि अगर मद्रास सरकार उन्हें आमंत्रित करती है तो कांग्रेस को वहाँ मंत्रिमंडल का गठन करना चाहिए। इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया गया परन्तु इस प्रस्ताव ने यह जाहिर कर दिया कि कुछ ऐसे कांग्रेसी थे, जो सरकार के साथ सहयोग करना चाहते थे। राजगोपालाचारी एक स्वतंत्र रास्ता अपना रहे थे। वे पाकिस्तान की माँग का समर्थन कर चुके थे और कांग्रेस से आग्रह कर रहे थे कि वह युद्ध में सहयोग करें।
मई, 1942 में गांधी जी ने बंबई में कांग्रेसियों की एक समा को सम्बोधित करते हुए कहा कि उन्होंने तय कर लिया है कि वे आदेशात्मक स्वर में अंग्रेजों से भारत छोडने के लिए कहेंगे। अगर अंग्रेज नहीं मानेंगे तो वे नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू कर देंगे। इस आंदोलन को शुरू करने के बारे में बहुत से कांग्रेसी नेताओं के मन में संकोच था। नेहरू विशेष रूप से दुविधा में थे कि साम्राज्यवादी ब्रिटेन से संघर्ष करें या फासीवाद के विरुद्ध संघर्ष में सोवियत संघ और चीन का साथ दें। आखिरकार नेहरू ने आंदोलन शुरू करने के पक्ष में फैसला किया। कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत छोड़ो माँग का मतलब यह नहीं कि ब्रिटिश और मित्र राष्ट्रों की फौजें तुरंत ही भारत से चली जाएँ। बल्कि इसका तात्पर्य था कि अंग्रेजों द्वारा भारत की स्वतंत्रता को तत्काल स्वीकृति प्रदान की जाएँ 14 जुलाई को कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने भारत छोड़ो प्रस्ताव स्वीकार किया जिसकी पुष्टि अगस्त में बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में की जानी थी।
8 अगस्त, 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने “भारत छोड़ो प्रस्ताव” पारित करदिया। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्थितियों पर विस्तार से चर्चा करने के बाद , कांग्रेस ने भारत के लोगों से अपील की:
“उन्हें याद रखना चाहिए कि इस आंदोलन का आधार है। एक समय ऐसा आ सकता है कि जब लोगों के लिए निर्देश जारी करना, या निर्देश के लिए जनता तक पहुँचाना संभव न हो और जब कोई कांग्रेस कमेटी काम न कर सके | अगर ऐसा हो तो प्रत्येक स्त्री और पुरुष को जो इस आंदोलन में भाग ले रहा है, जारी किए गए सामान्य निर्देशों की चौहद्वी में रहकर स्वयं अपने अनुसार, काम करना चाहिए |”
गांधी जी ने अंग्रेजों से यहाँ से चले जाने और “भारत को भगवान भरोसे छोड़ने” के लिए कहा। उन्होंने सभी वर्गों को प्रोत्साहित किया कि वे आंदोलन में भाग लें और उन्होंने जोर दे कर कहा "प्रत्येक भारतीय को जो आजादी चाहता है और इसके लिए प्रयत्न करना चाहता है अपना अगुआ स्वयं बनना चाहिए |” उनका संदेश था “करो या मरो" | इस तरह भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हो गया।
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