Recents in Beach

अरस्तू की समकालीन सार्थकता पर एक लेख लिखिए।

 अरस्तू की प्रासंगिकता इस तथ्य में पाई जाती है कि उसने राजनीतिक दर्शन के आनुभविक विनियोजन के महत्व को दर्शाया। जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत पर अरस्तू का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। अरस्तू की तरह, रॉल्स न्याय को औचित्य के रूप में लेता है। रॉलस न्याय की औपचारिक और वास्तविक समझ को भी उदृत करता है। एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य जो रॉलस पर अरस्तू के प्रभाव को प्रतिबिंबित करता है वह “आदान-प्रदान के सिद्धांतः में देखा जाता है। अरस्तू और रॉल्स दोनों के लिए न्याय इस तथ्य पर आधारित होता है कि एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए जैसा व्यवहार वह स्वयं अपने प्रति अपेक्षा रखता है। मानव अधिकार का संभाषण भी अरस्तू के इस योगदान को प्रतिबिंबित करता है। आधुनिक राजनीतिक न्यायिक संरचना में, विधि के शासन का अनुसरण किया जाता है और “समान मामलों में सामन व्यवहार” का अनुसरण किया जाता है। रॉल्स अरस्तू के न्याय के सिद्धांत के विशेष मूल्यों को ग्रहण करने में असफल रहा। रॉल्स का सिद्धांत अत्यधिक सार्वभौमवादी और तर्कबुद्धिपरक है और उसमें अरस्तू के समुदाय के बोध, व्यक्तिगत नैतिक कर्त्ताओं के नीतिपरक आचरण के ऐतिहासिक आधार का अभाव है। मेकिन्टायर जैसे समुदायवादियों के सिद्धांत में वे अरस्तू के न्याय के सिद्धांत की वहाँ अव्ेलना करते हैं जहाँ प्राकृतिक न्याय के सार्यभौमिक रूप से मान्य और तर्कसंगत रूप से बोधगम्य सिद्धांतों को महत्व दिया जाना है।

उपर्युक्त अंतर्दृष्टि से जो हम सीखते हैं वह यह है कि आज भी दार्शनिकों, सिद्धांतवादियों और चिंतकों को अरस्तू से भौतिक / सामाजिक, सार्वभौमिक / विशेष, तर्कसंगत,/ असंगत, न्यायपूर्ण / अन्यायपूर्ण और नैतिक / अनैतिक के बीच अतिसूक्ष्म संतुलन को पाता लगाने की आवश्यकता है।

Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE

For PDF copy of Solved Assignment

WhatsApp Us - 9113311883(Paid)

Post a Comment

0 Comments

close