विश्व में वस्तुतः सभी अविकसित तथा विकासशील देशों की सरकारें अपने को विकास के लिए प्रतिबद्ध घोषित करती हैं। इन देशों के संदर्भ में विकास परिवर्तन की वह प्रक्रिया है, जो कि जनसंख्या के अधिकांश वर्गों को पीड़ित करने वाली बीमारियों, भूख, अन्याय, शोषण तथा अन्य संबंधित बुराइयों का उन्मूलन करने के उद्देश्य की ओर निर्देशित तथा गतिशील होती हे।
जनसंचार माध्यम समाज में परिवर्तन लाने में सर्जनात्मक तथा रचनात्मक भूमिका निभाते हैं। हालांकि यह भी सत्य है कि परिवर्तन तथा विकास के नकारात्मक तथा अस्थिरता पैदा करने वाले परिणाम भी हो सकते हें।
जनसंचार माध्यमों का विशेषतः टेलीविजन की विकासात्मक अन्तःशक्ति, नियोजित परिवर्तन तथा जनशिक्षा के सशक्त माध्यम के रूप में अब विश्वव्यापी रूप में मान्य हे। भारत जैसे विकासशील देश में दूरदर्शन जैसे दृश्य-श्रव्य माध्यमों का करोड़ों जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता हे। अतः यह माध्यम दूर-दराज के बिखरे हुए ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षित तथा पिछड़ी हुई जनता तक विकास संदेश का संप्रेषण, सूचनाओं का प्रसारण तथा नए विचारों एवं व्यवहारों के प्रचार-प्रसार करने में अत्यन्त उपयोगी हे।
दूरदर्शन नए विचारों एवं व्यवहारों के प्रसारण में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है। इसने संचार को आमने-सामने न होते हुए भी आमने-सामने के सम्बन्धों से अधिक व्यावहारिक तथा प्रभावी बना दिया है। दूरदर्शन ने दूरदराज के क्षेत्रों की जनता का सामना एक नई वास्तविकता के साथ कराया हे।
दूरदर्शन नियोजित परिवर्तन तथा जनशिक्षा के सशक्त माध्यम के रूप में उभरा हे। दूर शिक्षा के क्षेत्र में भी इसकी काफी असरदार भूमिका हे। दूरदर्शन सूचनाओं के प्रसारण, नए विचारों तथा व्यवहारों के विखण्डन तथा दूरस्थ एवं एकाकी ग्रामीण क्षेत्रों में रटने वाली पिछड़ी हुई तथा अशिक्षित जनता तक विकास का संदेश पहुँचाने वाला उपयोगी माध्यम हे।
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