M.H.D-1
हिंदी काव्य - 1
1. निम्नलिखित प्रत्येक काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
(क) ठाकुर ठक भए गेल चोर सरपरि घर सज्जिअ।
दासे गोसाउनि गहिअ धम्म गए धंध निमज्जिअ।।
खले सज्जन परिभविअ कोइ नहि होइ विचारक |
जाति अजाति विवाह अधम उत्तम कौ पारक |।
(ख) झूठे तन को क्या गरबावै।
मरै तौ पल भरि रहन न पावै।।
खीर खांड घृत पिंड संवारा, प्राण गए लै बाहरि जारा।
जिहिं सिरि रचि रचि बांधत पागा, सो सिरु चंचु संवारहिं कागा।
हाड़ जरै जैसे लकड़ी झूरी, केस जरै जैसे त्रिन के कूरी।
कहै कबीर नर अजहुं न जागै, जम का डंड मूंड महिं लागै।।
(ग) ऊधो! जानि परे सयान।
नरियन को जोग लाए, भले जान सुजान।।
निगम तू नहिं पार पायो कहत जासों ज्ञान।
नयन त्रिकुटी जोरि संगम जेहि करत अनुमान।।
पवन धरि रबि-तन निहारत, मनहिं राख्यो मारि।
सूर सो मन हाथ नाहीं गयो संग बिसारि।।
(घ) अधिक बधिक तें सुजान, रीति रावरी है,
कपट-चुगौ दे फिरि निपट करौ बुरी।
गुननि पकरि लै, निर्षांख करि छारि देहु,
मरहि न जिये, महा विषम दया-छूरी।
हां न जानौं, कौन धौं ही यामैं सिद्धि स्वारथ की,
लखी क््याौं परति प्यारे अंतरकथा दुरी।
कैसें आसा-द्गुम पै बसेरो लहै प्रान-खग,
बनक-निकाई घनआनेद नई जुरी।।
2. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 500 शब्दों में दीजिए :
(क) विद्यापति की भाषा पर प्रकाश डालिए।
(ख) 'पद्मावत्' में वर्णित लोकतत्वों का मूल्यांकन कीजिए |
(ग) कबीर के दर्शन संबंधी विचारों का सोदाहरण विवेचन कीजिए।
3. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए :
(क) तुलसीदास की सामाजिक चेतना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए |
(ख) मीरा के काय्य में व्यक्त विद्रोही विचारों पर प्रकाश डालिए।
(ग) पद्माकर के काब्यों में व्यक्त लोक जीवन का चित्रण कीजिए।
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