पारिभाषिक शब्दावली के विभिन्न लक्षण निम्न हैं -
• परिभाष्यता-उसका परिभाषित (defined) होना ही पारिभाषिक शब्दों की प्रमुख विशेषता अथवा अभिलक्षण है। कहने का तात्पर्य यह है कि पारिभाषिक शब्द परिभाषित होते हैं, उन्हें परिभाषा दिए बिना समझा नहीं जा सकता।
पारिभाषिक शब्दों को उनकी अवधारणा के अनुरूप परिभाषा देते हुए अथवा अवधारणा की व्याख्या करते हुए समझा-समझाया जाता है। ‘ताप’, ‘गुणांक’, ‘ओम’, ‘वोल्ट’, सॉफ्टवेयर’, ‘घनत्व’, ‘गुण-सूत्र’ आदि पारिभाषिक शब्द कुछ ऐसे उदाहरण है जो परिभाष्य होते हैं।
• असामान्यता-‘असामान्यता’ पारिभाषिक शब्दावली का विशिष्ट अभिलक्षण है। असामान्य का अर्थ है-पारिभाषिक शब्दों । संबद्ध भाव-विचार अथवा परिकल्पना आमतौर पर व्यवहार में प्रयुक्त नहीं होती।
इसलिए पारिभाषिक शब्द दैनिक जीवन से काफी दूर होते हैं। दैनिक जीवन-व्यवहार की भाषा के लिए पारिभाषिक शब्द असामान्य होते है। उदाहरण के लिए, ईडा’, ‘पिंगला’, ‘बक-अंड न्याय’, ‘अधिसूचना’, ‘प्रतिभू’, ‘कर्षण’, ‘नाभिकीय’ आदि पारिभाषिक शब्द ऐसे है जो दैनंदिन व्यवहार की भाषा में प्रयोग नहीं किए जाते हैं।
• अप्रतिस्थापना-अप्रतिस्थापना का अर्थ है – पर्याय द्वारा अपूरणीयता। अर्थात् किसी ज्ञान-क्षेत्र विशेष के पारिभाषिक शब्द के लिए एक ही निश्चित पर्याय रखा जा सकता है। इसके लिए कोई भी दूसरा पर्याय प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। इसका यह अर्थ निकलता है कि विशिष्ट ज्ञान-क्षेत्र की अवधारणा–विशेष के लिए प्रयुक्त होने वाले विशिष्ट पारिभाषिक शब्द का स्थान कोई अन्य शब्द नहीं ले सकता।
जैसे प्रशासनिक क्षेत्र में ‘issue’ (जारी), विधि के क्षेत्र में ‘Proclamation’ (उद्घोषणा), ‘Notification’ अंतरिक्ष-क्षेत्र में ‘INSAT’ (इनसेट), ‘Satelite’ (सेटेलाइट) आदि। इसी तरह से गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्रयुक्त गुण-सूत्र, समीकरण, प्रतीक-चिह्न, द्विपदनाम, यौगिक नाम आदि के पर्याय पारिभाषिक शब्दों को व्यवहार में नहीं लाया जा सकता।
• विशिष्ट/नियत अर्थ के संवाहक-किसी भी भाषा के शब्द विशिष्ट अर्थ को संवहण किए हुए होते हैं। ज्ञान-विशेष के संदर्भ में ये ‘एक अवधारणा अथवा अर्थ एक शब्द का सिद्धांत पर आधारित होते हैं अर्थात् पारिभाषिक शब्द एक ही पारिभाषिक अर्थ को व्यक्त करता है। और यह अर्थ विषय-क्षेत्र विशेष के संदर्भ में सुनिश्चित होता है। इनके पर्यायवाची नहीं होते हैं। उल्लेखनीय है कि शब्द अप सुनिश्चित अर्थ की सीमा का अतिक्रमण नहीं कर सकते ।
जैसे, ‘पद’ पारिभाषिक शब्द को लिया जा सकता है जो प्रशासन के क्षेत्र में ओहदा या कार्यालय में व्यक्ति के स्तर (post) के लिए, काव्य के क्षेत्र में पद्य (verse) के लिए, समाजशास्त्र के क्षेत्र में सामाजिक प्रस्थिति (status) और व्याकरण में शब्दरूप (word) के लिए प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार, अगर हम अंग्रेजी के ‘charge’ शब्द को देखें तो वह क्षेत्र की भिन्नता के आधार पर भिन्न-भिन्न अर्थ की अभिव्यंजना करने वाला शब्द सिद्ध होता है। प्रशासन के क्षेत्र में वह कार्यभार’ का स है तो विज्ञान में ‘आवेश’ का, लेखा-विधि में व्यय’ अथवा ‘खर्च’ का, विधि में ‘आरोप’ का, वाणिज्य में, ‘उधार’ का और आम बोलचाल की सामान्य भाषा में ‘दायित्व’ अथवा ‘जिम्मेदारी’ के अर्थ की व्यंजना करता है।
• विषय सापेक्षता-प्रत्येक विषय के विकास के लिए उसके अनुकूल ऐसी पारिभाषिक शब्दावली के विकास की आवश्यकता पड़ती है जिसमें विचारों-भावों को पूरी क्षमता के साथ अभिव्यक्त किया जा सके।
इस कारण प्रत्येक तकनीकी शब्द किसी न किसी विषय-क्षेत्र से संबद्ध होता है और उसी से ही अपना तकनीकी अर्थ एवं परिभाषा प्राप्त करता है। प्रत्येक तकनीकी अथवा पारिभाषिक शब्द में कुछ निश्चित भाव-अवधारणाएँ एवं अर्थ निहित होता है।
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