मानव तस्करी दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें लोगों को उनके शोषण के लिये खरीदा और बेचा जाता है। वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस घृणित अपराध के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रोत्साहित करने हेतु ‘मानव तस्करी से निपटने के लिये वैश्विक योजना — (The Global Plan of Action to Combat Trafficking in Persons) को अपनाया था।
मानव तस्करी पर वैश्विक रिपोर्ट (Global Report on Trafficking in Persons) अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, जो मानव तस्करी को लेकर वैश्विक स्तर पर व्यापक मूल्यांकन प्रदान करती है। इसमें 155 देशों से प्राप्त आँकड़े शामिल हैं जिसमें मानव तस्करी के पैटर्न का अवलोकन, प्रतिक्रिया में उठाए गए कानूनी कदम एवं व्यक्तियों, पीड़ितों और अभियोजन संबंधी देश-विशेष में तस्करी के मामलों की जानकारी है।
मानव तस्करी (79%) का सबसे आम रूप यौन शोषण है। यौन शोषण की शिकार मुख्य रूप से महिलाएँ और लड़कियाँ हैं। हैरानी की बात यह है कि 30% देशों में, जो कि तस्करों के जेंडर बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, महिला तस्करों का अनुपात सबसे अधिक हैं। कुछ क्षेत्रों में महिलाएँ ही महिलाओं एवं लड़कियों की तस्करी करती हैं।
मानव तस्करी का दूसरा सबसे आम रूप बलात् श्रम (18%) है। दुनिया भर में तस्करी के शिकार लोगों में से लगभग 20% बच्चे हैं। अफ्रीका और मेकांग क्षेत्र के कुछ हिस्सों में मुख्य तौर पर (पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में 100% तक) बच्चों की ही तस्करी की जाती है। ऐसी आम राय है कि तस्करी द्वारा लोगों को एक देश से दूसरे देश ले जाया जाता है लेकिन ज़्यादातर शोषण के मामलें घर के करीब ही पाए जाते हैं। आँकड़ों के अनुसार, अंतर्देशीय या घरेलू तस्करी मानव तस्करी का प्रमुख रूप है।
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