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चयन की विभिन्‍न तकनीकें का वर्णन कीजिए |

1) सारबृतः यह अभ्यर्थियों द्वारा अपने विषय में जानकारी प्रदान करने की सबसे प्रचलित विधि है। इसे कुछ कुछ लोग पाठ्यक्रम वृत भी कहते हैं - इसकी रचना विधि एवं विस्तार में अंतर हो सकते हैं। CV का प्रयोग प्रायः वरिष्ठ स्तर के पदों के लिए होता है। अभ्यर्थियों से उनके सारबृत या CV मांगे जाते हैं जिनमें वे अपने अनुभव, योग्यताओं और उपल विधयों के विषय में बता सकते हैं और अधिक महत्व इस बात का है कि संगठन अपने कार्य हेतु उपयुक्तता का प्रारंभिक आंकलन यही से प्रारंभ कर सकता हैं यह सार वृत विधि अभ्यर्थियों को अपनी इच्छित विधि एवं प्रारूप में अपने विषय में जानकारी देने की स्वतंत्रता देती है। इस विधि का एक लाभ यह है कि ये कम लागत में आवेदन पत्र एकत्र देती हैं - फार्म भेजने, फिर प्राप्त करने में लगने वाले समय एवं डाक व्यय की बचत होती है। कुछ नियोक्‍्ता इसलिए भी CV आमंत्रित करना बेहतर मानते हैं कि उन्हें अभ्यर्थियों की अपने विचार स्पष्टतः अभिव्यक्त करने की क्षमता का भी अनुमान उनके सार-वृत से लग जाता है। इस विधि की त्रुटि यही है कि इसमें अभ्यर्थियों को अपने विशेष गुणों पर अधिक आग्रह करने एवं त्रुटियों को छुपा जाने का अवसर मिल जाता है।

यह भी संभव है कि कुछ व्यवसायिक अभ्यर्थी अपने CV की ढेरों प्रतियां बनाकर तैयार रखते हों और चाहे जहां भेज देते हों कहीं कार्य पद विशेष के लिए

आवेदन भरने का धैर्य और गंभीरता का अभाव भी ऐसी स्थिति में स्पष्ट हो जाता है।

2) साक्षात्कार: यह व्यक्तियों के बीच अंतर्क्रिया है इसे “सौदृश्य वार्तालाप” भी कहा जाता है। सीधे शब्दों में यहां अभ्यर्थी से जानकारी प्राप्त कर उसका अन्य सूचना स्रोतों से सत्यापन किया जाता है। गहन साक्षात्कार का ध्येय सार-वृत से सारी जानकारी को मनोवैज्ञानिक या अभ्यर्थता परीक्षण और संस्तुति जांच आदि के साथ मिलाकर एक निर्णय पर पहुँचा जाता है। अनेक संदर्भों में साक्षात्कार चयन प्रक्रिया का गंभीरतम सोपान होता है क्योंकि इसके सीधे प्रत्यक्ष रूप से आवश्यक जांच परख हो जाती है। साक्षात्कार के ध्येय या उद्देश्य के तीन घटक होते हैं:

क) साक्षात्कार करने या लेने वाला उपलब्ध पद हेतु अभ्यर्थी की उपयुक्तता का आंकलन करने के लिए पर्याप्त जानकारी पाना चाहता है।

ख) अभ्यर्थी भी, रोजगार की पेशकश होने पर उसे स्वीकार करने विषयक सुविचारित निर्णय ले पाने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेता है।

ग) साक्षात्कार लेना वाला सारा वार्तालाप इस प्रकार संचालित करता है कि अभ्यर्थी, परिणाम चाहे कुछ भी हो, संगठन के प्रति एक सम्मान एवं सद्भाव के साथ ही वापस जाए।

3) मनौमितिय परीक्षा: एक सबसे प्राचीन और अधिक चुनौतीपूर्ण चयन विधि मनौमितिय परीक्षा की है। इस संकल्पना में मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के सभी आयाम सम्मिलित होते है।

मनौमितिय का शाब्दि अर्थ है मानसिक मापन। मनौमितिय परीक्षा मानकीकृत परीक्षण विधि है और इसका प्रयोग किसी संभावी कर्मी के व्यक्तित्व एवं कौशल की एक परीक्षा जैसी स्थितियों में मूल्यांकन के लिए किया जाता है। आजकल चयन एवं अन्य मानव संसाधन उद्देश्यों से ऑनलाइन परीक्षाएं भी प्रयोग होने लगी हैं।

इसे ई-मूल्यांकन कहा जाता है। दावा किया जाता है कि यह ऑनलाइन विधि संगठनों को विश्व भर में से किसी भी स्थान और समय पर चयन करने में सहायक रहती है और सभी आवेदनों पर आसानी से विचार भी संभव हो जाता है।


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