मौलिक कर्तव्यों का नैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक महत्व है। यदि कोई नागरिक अपना कर्तव्य ठीक से निभाये तभी वह अपने अधिकारों का सही तरह से इस्तेमाल कर सकता है। अपने कर्तव्यों को पूरा करने के बाद ही आप पर्यावरण एवं आर्थिक विकास को प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही आप मानवीय विकास को भी प्राप्त कर सकते हैं।
भारत में मौलिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिये लोगों में चेतना जागृत हुई है। न्यायालय, नागरिक समाज संगठन, राजनीतिक दल एवं सरकार ने भी मौलिक कर्तव्यों के महत्व को रेखांकित किया है क्योंकि ये कर्तव्य समाज के संपूर्ण विकास के लिए अनिवार्य है। जैसा कि आपने इस इकाई के अंदर पढ़ा होगा मौलिक कर्तव्यों को संविधान में 42वें संशोधन के बाद शामिल किया था जो कि इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान पारित किया था। (मोरारजी देसाई की सरकार ने भी मौलिक कर्तव्यों के प्रावधानों में परिवर्तन नहीं किया। इससे यह साबित हुआ कि मौलिक कर्तव्यों का कितना महत्व है।
इन्हीं महत्व को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ये कर्तव्य व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाने तथा नागरिकों में अच्छे गुण पैदा करने के लिए पर्याप्त है। उदाहरण के लिए कुछ स्वार्थी तत्व पर्यावरण को एवं जैव-विविधता को नुकसान पहुंचा रहे हैं, विशेषकर मसूरी-देहरादून क्षेत्र में। वे अपने मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन कर रहे हैं जिसमें उन्हें पर्यावरण की रक्षा एवं जैव-विविधता की रक्षा करने को कहा गया है। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने गैर-कानूनी खनन पर रोक लगाई थी मसूरी-देहरादून बेल्ट में तथा पर्यावरण एवं
जैव-विविधता की रक्षा के लिए अन्य सुझाव भी दिये थे। इस प्रकार, न्यायालय ने मौलिक कर्तव्यों की महत्ता को रेखांकित किया तथा उसके संरक्षण के लिए निर्देश भी दिये।
क) केन्द्र एवं राज्य सरकारें लोगों के बीच चेतना जाग्रत करे ताकि लोग मौलिक कर्तव्यों के बारे में जानकारी हासिल कर सके।
ख) स्वतंत्रता के अधिकार विशेषकर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करनी चाहिये तथा अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान होना चाहिये।
ग) लोगों को चुनाव में अपना वोट देने के लिए संवेदनशील बनाया जाना चाहिए क्योंकि वोट डालना उनका कर्तव्य है। इसके साथ ही उन्हें कर देने और सरकार के कार्यों में भागीदारी करने के लिए भी संवदेनशील बनाया जाना चाहिये।
घ) वर्मा समिति की सिफारिशों को तत्काल लागू किया जाना चाहिए जिसमें उन्होंने मौलिक कर्तव्यों के क्रियान्वयन पर अधिक बल दिया था।
ड़) औद्योगिक संगठनों को अपने कर्मचारियों के बच्चों के लिए शिक्षा का प्रावधान करना चाहिये।
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