हिल स्टेशन हिल स्टेशन गर्मियों में अंग्रेजों की जलवायु के अनुकूल होते थे, इसलिए उन्होंने यहां ग्रीष्मकालीन राजधानियां बनाईं। ब्रिटिश हिल स्टेशन की स्थापना 1819 में हुई और 1860 तक अनेक हिल स्टेशनों की स्थापना हो गयी थी। 1864 में शिमला वायसराय की आधिकारिक रूप से ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गई और 1870 में मद्रास प्रेसीडेंसी की राजधानी ऊटी बनी। हिल स्टेशनों में निवास के विरुद्ध अनेक याचिकाएं डाली गईं, जिसके फलस्वरूप अंग्रेजों के निवास की अवधि कम कर दी गई।
वस्तुतः ये हिल स्टेशन यूरोपीय अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए उपयुक्त रहन-सहन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए निर्मित किए गए थे। यहां अंग्रेजी वास्तुकला को बढ़ावा दिया गया तथा ये अपने आकार और महत्त्व की दृष्टि से अलग-अलग प्रकार के थे। ऊटी में अधिक संख्या में यूरोपियन्स रहते थे, क्योंकि ऊटी 1884 में मद्रास सेना का स्थायी मुख्यालय बन गया। अंग्रेज यह नहीं चाहते थे कि ऊटी में भारतीय राजा भी अपना ग्रीष्मकालीन निवास बनाए थे। उन्हें भय था, इससे रोग फैल सकता था। शिमला एक महत्त्वपूर्ण हिल स्टेशन बन गया, क्योंकि वायसराय की ग्रीष्मकालीन राजधानी और भारत में ब्रिटिश सेना का मुख्यालय था।
शिमला में कीमती संपत्ति मुट्ठी भर यूरोपीयों द्वारा नियंत्रित थी तथा उस पर उन्हीं का स्वामित्व था। 1886 में भारतीय राजाओं ने शिमला में उन घरों का लगभग सातवां भाग खरीद लिया था, जो यूरोपीय के अनुकूल थे। 1891 में जब कालका तक रेल पहुँची तो सरकार ने इस प्रकार की योजनाएं बनाईं कि शिमला में लोगों के आगमन को सीमित किया जा सके, परंतु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसका विरोध किया। फलस्वरूप इस प्रकार के नियंत्रण पर रोक लग गई। वस्तुतः अंग्रेज भारत में स्थायी रूप से रहना नहीं चाहते थे। आगे चलकर भाप से तेजी से चलने वाले जहाजों ने ब्रिटेन की यात्रा को हिल स्टेशनों में ग्रीष्मावकाश की अपेक्षा अधिक आसान बना दिया गया, इसलिए भारत में हिल स्टेशनों के प्रति अंग्रेजों की रुचि कम हो गई।
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