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कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व की संकल्पना की परिभाषित कीजिए एवं इसके प्रकारों की व्याख्या कीजिये ।

कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्वका निर्वहन समाज के भलाइ एवं संवृद्धि में बहुत सार्थक योगदान करता है। संगठन ये कार्य समाज के प्रति दायित्व भावना के साथ-साथ स्वप्रेरणा के फलस्वरूप भी करते हैं। इन कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्वकार्यों की अनेक प्रकार से परिभाषित की गई हैं। समान प्रायः आधारों पर विभिन्‍न संगठनों ने CSR हेतु अनेक प्रकार की नीतियां एवं युक्तियां अपनाई हैं। सामाजिक दायित्व निर्वहन प्रक्रिया की कुछ परिभाषाएं इस प्रकार हैं:

धारणीय विकास हेतु विश्व व्यावसाय. परिषद्‌ कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्वकी परिभाषा इस प्रकार हो सकती है: यह एक व्यावसाय की अपने कार्यबल एवं उनके परिजनों तथा स्थानीय जन समुदाय एवं बृहत्तर समाज की जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हुए आर्थिक विकास में योगदान करने एवं नैतिक रूप से व्यवहार करने की प्रतिबद्धता है।

व्यावसायिक मानकों के संदर्भ में CSR प्रक्रिया “व्यावसाय का इस प्रकार संचालन है कि यह समाज द्वारा व्यवसाय हेतु नियत नैतिक विधिक, व्यापारिक एवंज न अपेक्षाओं को पूरा हीन करें, बल्कि उनसे आगे भी बढ़ जाए।

कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्वके प्रकार

वित्तीय पादर्शिता और समाज को विकास में विकास में सहायता देने को उत्सुक संगठन विश्वभर की बाजार व्यवस्थाओं में अनेक प्रकार के सामाजिक दायित्व प्रेरित कार्य कर रहे हैं। जैसे पहले भी चर्चा में आया है, ये कार्य शिशु देखभाल से लेकर समाज के वृद्ध जन भलाइ तक से प्रेरित होते हैं। विभिन्‍न प्रकार के निगम सामाजिक दायित्वों को हम इस प्रकार से मुख्य वर्गों में विभाजित कर सकते हैं:

समाज के मानव वर्ग के प्रति दायित्व: संगठन स्वयं मानव आश्रित होते हैं। समाज में कार्यरत्‌ रहते हुए ये उसी से अपनी मानव शक्ति पाते हैं और साथ ही ग्राहक व उपभोक्ता (जो वस्तुतः किसी भी ग्राहक द्वारा खरीदे गए उत्पाद को वास्तव में उपयोग करेंगे)। अतः अनेक कंपनियां समाज के मानव वर्ग को विकसित करने के लक्ष्य से ही स्कूल, कॉलेज, अस्पताल एवं धर्मार्थ संगठनों का संचालन करती हैं। इस प्रकार मानव समाज को अपने कार्यों का लक्ष्य बनाते हुए ये कंपनियां न केवल अपने कर भार को कम करती हैं बल्कि अधिक सुशिक्षित कर्मचारी वर्ग तथा समाज में अच्छी प्रतिष्ठा एवं मान्यता भी प्राप्त कर लेती हैं।

बाहय वातावरण के प्रति दायित्व: संगठन एक अनावृत तंत्र होता है जो अपने उत्पादों एवं सेवाओं की आपूर्ति के लिए कच्चे माल की मांग को पूरा करने के लिए बाहय वातावरण पर निर्भर रहता है। प्राकृतिक संपदा एवं संसाधनों का अत्यधिक प्रयोग वैश्विक ऊष्णन, संसाधन धारणीयता तथा प्रदूषण आदि को लेकर अनेक पर्यावरणीय आपदाओं का कारण बन सकता है। ये पर्यावरण के मुद्दे अंततः उन फर्मों के व्यवसाय को भी हानि पहुँचाते हैं। इसी कारण से अब अनेक व्यापारिक संगठन पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में सहायता करने लगे हैं। उन्हें पर्यावरण संरक्षण समूह तथा सरकारों से उस द्वारा पर्यावरण में उत्सर्जित प्रदूषण को घटाने और समाज को जीवित रहने के लिए एक बेहतर वातावरण प्रदान करने में सहायता देने को प्रेरणा मिल रही है।

गैरलाभकारी संगठनों के प्रति दायित्व: अनेक कंपनियां गैर सरकारी संगठनों जैसी धर्मार्थ समाज सेवी संस्थाओं को वित्तीय सहायता देती हैं। यह एक प्रकार से परोक्ष रूप से समाज को ही दी गई सहायता है।

व्यावसायिक वातावरण के प्रति दायित्व: कई बार एक उद्योग समूह व्यवसाय क्षेत्र में ही किसी सदकार्य को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किन्‍्हीं कंपनियों को पुरस्कार सम्मान आदि प्रदान करते हैं। ये CSR सम्मान किसी न किसी सामाजिक दायित्व के निर्वहन के स्तर के उन्नयन या फिर उसकी ओर ध्यान आकर्षित करने के ध्येय से दिए जाते हैं। उदाहरण: यदि किसी जनसंपर्क संगठन को पर्यावरण मित्र या हरित सद्‌प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए दिए गए पुरस्कार सम्मान। डेयरी संगठन अपने ही उद्योग की इकाइयों को मानवीय व्यवहार के लिए समानित कर सकते हैं। अन्ततः ये प्रोत्साइन समाज के ही विकास में सहायक सिद्ध होते हैं।

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