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'गबन' की अंतर्वस्तु का परिचय देते हुए उसकी भाषा शैली की विशिष्टता बताइए।

 ‘गबन’ को पढ़ते हुए हम कभी तो लेखक की आवाज में सुनते हैं, तो कभी लेखक के द्वारा कल्पित पात्र की आवाज में इसी तकनीक के आधार पर गवन की कथा बुनी गयी है। जहाँ उपन्यास में लेखक की अपनी आवाज में कथा सुनायी जाती है उसे प्रत्यक्ष भाषा-शैली कहते हैं ‘गबन में हम प्रेमचंद को कहीं कहानी सुनाते, कहीं स्थानों और पात्रों की बाह्य रूप रेखा का चित्रण करते, कहीं पात्रों की मनःस्थिति का वर्णन करते, कहीं उनकी मानसिक दशा का विश्लेषण करते, कहीं उनके चरित्र पर टिप्पणी करते, कहीं समस्याओं का विवचेन करते हुए पाते हैं। हम प्रेमचंद के किस्सागो रूप में उनकी भाषा को देखें। कहानी सुनाते समय प्रेमचंद तत्सम शब्दों का प्रयोग कम करते हैं।

अधिकांश प्रयोग तद्भव शब्दों का होता है और उसके साथ ही उन्होंने संस्कृत तथा अरबी-फारसी के प्रचलित शब्दों का प्रयोग किया है। कुल मिलाकत यह भाषा बोलचाल की भाषा होती है। प्रेमचंद ने छोटे-छोटे वाक्यों की रचना की है। अधिकतर के भरल वाक्यों की ही रचना करते हैं, कहीं-कहीं ही उन्होंने संयुक्त वाक्यों की रचना भी की है। आरम्भ से लेकर अंत तक पूरे उपन्यास में इसका उदाहरण देखा जा सकता है इसके साथ ही इस उपन्यास में अनेक पात्रों की आवाज भी सुनायी देती है। कहीं तो वे आपस में वार्तालाप करते हुए तो कहीं स्वगत चिंतन करते हुए दिखाई देते हैं। प्रेमचंद ने पात्रों की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अवस्थाओं एवं उनकी मनःस्थिति के अनुसार भाषा को विविधता प्रदान की है।

प्रेमचंद ने अपने इस उपन्यास में स्थान और काल को यथार्थ और विश्वसनीय बनाया है। क्योंकि इसी स्थान और काल के आयाम में पात्र को अपने भाग्य का नाटक खेलना है। यही कारण है कि प्रेमचंद जब किसी स्थान का वर्णन करते हैं तो उसकी सम्पूर्ण विशेषताओं के साथ प्रस्तुत कर देते हैं। उस स्थल की छोटी से छोटी वस्तु का भी उल्लेख करते हैं। जैसा स्थान होता है, वैसा ही भाषा होती है। उदाहरण – “सन्ध्या हो गयी थी, म्युनिसिपैलिटी के अहाते में सन्नाटा छा गया था। कर्मचारी एक-एक करके जा रहे थे।

मेहतर कमरों में झाड़ लगा रहा था। चपरासी ने भी जूते पहनना शुरू कर दिया था। खोंचेवाले दिन भर की बिक्री के पैसे गिन रहे थे। पर रमानाथ अपनी कुरसी पर बैठा रजिस्टर लिख रहा था।” इसके साथ ही प्रेमचंद जब पहली बार किसी पात्र को सामने लाते हैं तब उसका ऐसा जीता जागता शब्द-चित्र खींचते हैं कि वह पात्र पाठकों के सामने एकदम से मूर्त हो जाता है। वे उन पात्रों की रूपरेखा, वेश-भूषा, आयु, आदि का वर्णन बहुत ही सूक्ष्मता के साथ करते हैं। इसके माध्यम से प्रेमचंद पात्रों को ठोस शरीर और विशिष्ट व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। प्रेमचंद की यह विशेषता उनके सभी उपन्यास में देखी जा सकती है।

प्रेमचंद अपने पात्रों के वार्तालाप एवं स्वगत कथन में किस तरह की भाषा प्रयोग करते हैं। गबन में प्रेमचंद के अपने पात्रों को उनकी शिक्षा-दीक्षा, रहन-सहन, परिस्थिति और मानसिक स्थिति के अनुरूप भाषा प्रदान की है। यही कारण है कि उनके पात्रों की भाषा में हम वैविध्य को साफ-साफ देख सकते हैं। वकील साहब उच्चवर्गीय पात्र हैं इसलिए उनकी भाषा में तत्सम के शब्दों के साथ-साथ अंगरेजी के शब्द आते हैं। वाक्य की संरचना भी बदल जाती है। सरल के साथ-साथ संयुक्त एवं मिश्र वाक्यों को हम देख सकते हैं। उनके वाक्यों की लंबाई भी बढ़ जाती है। 

उदाहरण “नान्सेंस ! आप एक युवती को किसी पुवक के साथ एकान्त में विचरते देखकर दाँतों तले उँगली दबाते हैं। आपका अंतःकरण इतना मलिन हो गया है कि स्त्री पुरुष को एक जगह देखकर आप संदेह किये बिना रह ही नहीं सकते हैं। पर जहाँ लड़के और लड़कियाँ एक जगह शिक्षा पाते हैं, वहाँ यह जाति भेद बहुत महत्व की वस्तु नहीं रह जाती – आपस में स्नेह और सहानुभूति की इतनी बातें पैदा हो जाती है कि कामुकता का अंशा बहुत. थोड़ा रह जाता है।” देवीदीन निम्नवर्गीय चरित्र है।

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