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विज्ञान केक्षेत्र में प्रयुक्त हिंदी की विशेषताएँ सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

ज्ञान-विज्ञान के जटिल विषयों को सरल और सुबोध भाषा में कैसे पेश किया जाता है, इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए

1. पारिभाषिक शब्दों के प्रयोग से बचना और उनके स्थान पर उनके निहित भावों या विचारों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना; जैसे

पारिभाषिक

. जल-जमीन दोनों में रह सकने वाले जानवर
. आकाश में उड़ सकने वाले प्राणी
. जल में रहने वाले प्राणी

शब्द 

. उभयचर
. नभचर
. जलचर

नीचे कुछ और जानवरों के वैज्ञानिक नाम दिये गये हैं। आप सरल लेखन में विस्तृत व्याख्या वाले शब्द लिख सकते हैं, विज्ञान में पारिभाषिक शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

(i) रेंगने वाले जानवर सरीसृप

(ii) बच्चों को दूध पिलाने वाले जानवर स्तनपायी

(iii) अंडे देने वाले प्राणी अंडज

(iv) जिस युग में मानव ने पहली बार पत्थर के औजार बनाये पाषाण युग

(v) जमीन पर रहने वाले जानवर (थलचर)

2. वैज्ञानिक अवधारणाओं की सूत्रबद्ध परिभाषाओं से बचना और उनके स्थान पर उन्हें सोदाहरण व्याख्यायित करनाउदाहरण-जो जानवर अपने को बदलकर आसपास की चीजों से मिला देते हैं, उनका जिंदा रहना ज्यादा आसान होता है। उक्त व्याख्या विकासवाद के एक नियम ‘अनुकूलन के सिद्धांत’ पर आधारित है।

3. सरलता का मतलब विचारों में परिवर्तन करना नहीं है, सिर्फ उन्हें सबकी समझ में आ सकने वाली भाषा में, तार्किक क्रमबद्धता और व्यवस्था के साथ पेश करना चाहिए, ताकि वैज्ञानिक अवधारणाओं के मूल भाव की रक्षा हो सके।

4. सरल और सुबोध भाषा के लिए जहां तक संभव हो, छोटे और सरल वाक्य बनाना, ऐसे शब्दों का प्रयोग करना, जो आम चलन में हों तथा वैज्ञानिक नामों की बजाय लोक में प्रचलित नामों का उपयोग करना। उदाहरण-पहली चीज, जिसका आदमी ने पता लगाया, वह शायद आग थी। आजकल हम दियासलाई से आग जलाते हैं, लेकिन दियासलाइयां तो अभी हाल में बनी हैं।

उपर्युक्त तीनों वाक्य एक वाक्य में-मनुष्य ने सबसे पहले आग का पता लगाया, यद्यपि दियासलाई का आविष्कार अभी हाल ही की घटना है।  दूसरा उदाहरण-इन्हीं नए पाषाण युग के आदमियों ने एक बहुत बड़ी चीज निकाली। यह खेती करने का तरीका था। उन्होंने खेतों को जोतकर खाने की चीजें पैदा करनी शुरू की। उनके लिए यह बहुत बड़ी बात थी।

उपर्युक्त चार वाक्यों का एक वाक्य-नव पाषाण युग के लोगों ने कृषि करना सीखा, जो उनकी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी। उर्दू के शब्द-हिंदी और उर्दू एक ही क्षेत्र की भाषाएं हैं। दोनों खड़ी बोली से विकसित हुई हैं, इसलिए दोनों में कई समानताएं हैं। उर्दू में अरबी और फारसी के शब्द ज्यादा हैं। ऐसे हजारों शब्द हिंदी में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। इन अरबी और फारसी के शब्दों को उर्दू शब्द के रूप में पहचाना जाता है।

कुछ उर्दू शब्द देखिए-शुरू, जानवर, चीज, जानदार, दुनिया, सिर्फ, अगर, वजह, ज़रूर, जमाना, जमीन, जिन्दा, मुश्किल, सख्त, अजीब, आसान, कसरत बर्फ सफेद, दरख्त, दुश्मन मुल्क कोशिशः तादाद, दरजा मालूम, मुमकिन आदमी तब्दीली, तरफ, किस्म, पैदा, दरिया, खुश्की, बाज, तरक्की, ताकतवर, मिसाल, हिफाजत, मालिक, फायदा, औजार, मुकाबला, तरीका, नमूना, गुजरना, मयस्सर। उर्दू शब्द हिंदी में इतने घुल-मिल गये हैं कि उनकी पहचान मुश्किल से होती है। शब्दकोश से हम पहचान सकते हैं कि शब्द कौन-सी भाषा से आया है।

इसके अलावा जिन शब्दों के नीचे नुक्ता (बिंदी) लगा हो, वे आमतौर पर उर्दू के शब्द होते हैं; जैसे-बर्फ, तरक्की, तरफ आदि। हिंदी के अपने शब्दों में नुक्ते नहीं लगते। क, ख, ग़, ज़, फ़, सिर्फ अरबी-फारसी शब्दों में आते हैं। ये संस्कृत या हिंदी के शब्दों में नहीं आते। यहां यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि अंग्रेजी से आए कुछ शब्दों में भी नुक्ता लगता है, जैसे-ज़ेबरा, ज़िप, फैक्टरी, फेल आदि। अरबी-फारसी में ‘क’, ‘ग’, ‘ज़’ के साथ-साथ ‘क’, ‘ग’, ‘ज’ की ध्वनियां भी हैं, किंतु ‘ख’, ‘फ’ की ध्वनियां नहीं हैं। 

‘फ’, ‘ख’ का प्रयोग हिंदी के अपने शब्दों वे साथ ही होता है; जैसे-‘फल, सफल, फूल’। यहां “फल, सफल, फूल” नहीं लिखना चाहिए। इस तरह की गलती, लिखने से अधि क बोलने में होती है। अरबी-फारसी में फ़ का ही प्रयोग होगा; जैसे–फन, फ़रियाद, फ़साद, फ़तेह, सिर्फ आदि। अरबी-फारसी के कुछ शब्द हिंदी की प्रकृति के अनुसार ढल गये हैं, उनको आम प्रचलित रूप में भी लिखा जाता है।

संदेहार्थ वाक्य 

(क) गुफाओं में अंधेरा होता था, इसलिए मुमकिन है कि वे चिराग जलाते हों।

(ख) वे पकाना भी नहीं जानते थे, हां शायद मांस को आग में गर्म कर लेते हों।

(ग) वह कमरे में नहीं है, शायद रसोई में हो।

तीनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए। इन वाक्यों में अतीत या वर्तमान में किसी घटना के होने के बारे में संदेह व्यक्त किया गया है यानि ऐसा नहीं भी हो सकता है। ये संदेहार्थक वाक्य हैं।

संभावनार्थक वाक्य

(क) उस जमाने में आजकल से ज्यादा समुद्र और दलदल रहे होंगे।

(ख) इस समय गावस्कर बल्लेबाजी कर रहा होगा।

(ग) तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो आदमी को गुफाओं में रहना होगा।

आप तीनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए। पहले वाक्य में अतीत में घटना होने की संभावना व्यक्त की गई है। दूसरे वाक्य में वर्तमान में घटना होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। तीसरे वाक्य में भविष्य में घटना होने की संभावना व्यक्त की गई है।

अन्य उदाहरण

(क) आदमियों का रहना बहुत मुश्किल होगा और उन्हें बड़ी तकलीफ के दिन काटने पड़ते होंगे।

(ख) शुरू-शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो इसके चारों तरफ बड़े-बड़े जानवर रहे होंगे और उसे उनसे बराबर खतरा लगा रहता होगा।

संभावनार्थक वाक्य और संदहार्थक वाक्य में मूल अंतर यह है कि दोनों में क्रिया के होने की संभावना का स्तर अलग-अलग होता है। पहली तरह के वाक्य में वक्ता/लेखक को क्रिया के होने में कुछ-कुछ विश्वास होता है, किंतु उसे निश्चित जानकारी नहीं है। जबकि दूसरे तरह के वाक्य में क्रिया के होने से उसे संदेह है। वहां विश्वास नहीं है. केवल अनुमान है।

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