बीमा का महत्त्व वाणिज्य के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है। व्यापार में उत्पन्न होने वाले आकस्मिक आर्थिक संकटों से बचने के लिए बीमा एकमात्र साधन है। बीमे की नियमित अल्पराशि देकर व्यापारी निश्चित हो जाता है। बीमा का मूल कार्य होता है, दुर्घटनाओं से हुए नुकसानों की क्षतिपूर्ति करना। बीमा प्रणाली के मुख्य घटक हैं-बीमाकर्ता, बीमा शुल्क, बीमा पत्र आदि।
राजभाषा हिंदी के प्रयोग एवं क्रियान्वयन के सांविधिक प्रावधानों का पालन भारतीय जीवन बीमा निगम में किया जाता है। आम जनता तथा व्यापारियों अपना संपर्क बना चकी हैं. जिससे हिंदी का प्रयोग इनके कार्यों में लाभदायक होता है। हिंदी का क्रियान्वयन इन बीमा कंपनियों द्वारा लगातार हो रहा है, क्योंकि ग्राहकों को पत्र-व्यवहार, सामान्य प्रपत्रों का प्रकाशन तथा विज्ञापन में हिंदी का प्रयोग किया जा रहा है। बीमा प्रणाली से जुड़ी पारिभाषिक शब्दावली का विकास उनके अंग्रेजी पर्यायों के साथ हिंदी में हो चुका है।
तकनीकी शब्दावली-जोखिम-Risk, क्षति-Loss, क्षतिपूर्ति-Indemnity, बीमा-Insurance, बीमा-पत्र-Policy, बीमा-किश्त-Premium, बीमाधारी-Policy holder, उत्तरदायित्व-Responsibility, जीवन बीमा-Life insurance, अग्नि बीमा-Insurance against fire. सामुद्रिक बीमा-Marine insurance संपत्ति-Asset चल संपत्ति Movable assets. अचल संपत्ति-Immovableassets, माल-Goods, गोदाम-Godown, प्रमाण पत्र-Certificate, रोकड़ हानि-Loss of cash, जांच-पड़ताल-Inquiry, बीमाकृत-Insured, दर-Rate, ब्याज-Interest आदि।
बीमा प्रणाली द्वारा आजकल डाक और रेल-सेवा के कई कार्य किए जा रहे हैं, जिसमें हिंदी भाषा का प्रयोग भी होता है। बीमाकृत द्वारा रुपये भेजना, पत्र पार्सल बीमाकृत माल अब रेल से भेजना ज्यादा सुविधाजनक और सुरक्षित होता है। इसमें बीमा की फीस साध रण डाक या रजिस्ट्री से अधिक दिया जाता है।
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