वाणिज्य गतिविधियों में उत्पादन से लेकर उपभोक्ता के पास माल या वस्तु पहुंचाने तक की प्रक्रिया शामिल है, जिसे विपणन की शृंखला (Marketing Channel) कहते हैं। मांग व्यापार का मूल है, इसलिए विपणन के माध्यमों के उपयोग से पहले वस्तु के संभावित क्रेता की कुल मांग का विश्लेषण किया जाता है। मांग और विश्लेषण को नियंत्रित करने वाले तत्त्व हैं
दर – Rate
उत्पादन – Production
संवेष्टन – Packaging
विज्ञापन – Advertisement
चिह्न – Brand
मूल्य – Price
यातायात – Transportation
इंटरनेट और डिजिटल मार्केटिंग के आने के बाद से परंपरागत विपणन के वितरण का माध्यम अब बदल गया है। अब दलाल और बिचौलियों के बिना ही उपभोक्ता ई-ट्रेनिंग हेतु बने ऑनलाइन प्लेटफार्म पर जाकर सीधे उत्पादक से ही वस्तु खरीद सकता है। सरकार द्वारा GEM (Government E-Marketing) नाम एक ऑनलाइन प्लेटफार्म निर्मित किया गया है, जहां से सरकारी संस्थानों को वस्तुओं की खरीद करना अनिवार्य है।
वाणिज्य विस्तार का केन्द्र उपभोक्ता है, जिससे उस तक जनसंचार के माध्यमों का उपयोग कर वस्तुओं के गुण, मूल्य आदि जानकारी पहुंचाने में तेजी आई है। वाणिज्यिक गतिविधि में ‘बिक्री को बढ़ाने’ में विज्ञापन का सबसे ज्यादा सहयोग है। पत्रकारिता, रेडियो, दूरदर्शन, पोस्टर, पैंफ्लेट आदि के माध्यम से विज्ञापन को विस्तार दिया जाता है। भारत में भी विज्ञापन अब विश्व स्तर पर होता है। प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा, प्रतिद्वंद्विता ने विज्ञापनों की भाषा और प्रस्तुतीकरण ने व्यापारिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है, जिसमें हिंदी का प्रयोग इन सभी माध्यमों में निरंतर हुआ है।
हिंदी विज्ञापन का प्रयोग श्रव्य-दृश्य, दृश्य-श्रव्य, में लगातार होता रहा है। विज्ञापन के चार गुणों के कारण इसकी भाषा सर्वथा संपन्न एवं सफल रही है, जो निम्न प्रकार हैं
1. आकर्षक तत्त्व-Attention value
2. श्रव्यता एवं सुपाठ्यता-Readability and listenability
3. स्मरणीयता-Memorability
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