सूफी कवियों ने स्त्री-सौंदर्य को अलौकिक माना है। उनके यहाँ खूबसूरती खुदा की खोज बन गया। यदि सूफी काव्य परंपरा की नायिकाओं के नाम का जिक्र करें तो उसमें एक प्रकार की केंद्रीयता दिखाई देगी। नाम की काव्यात्मक हैं। उदाहरण के लिए कुछ नाम देख सकते हैं चाँदा, पद्मावती. मृगावती, चित्रावली आदि।इस काल की नायिकाओं को यदि चित्रों में देखें तो हुस्न और इश्क से भरी तस्वीर पाते हैं।
ज्यादातर चित्रों में प्रेमिका बाग में प्रेमियों का इंतजार करती हुई. आइने में खुद को निहारती हुई, शराब का प्याला हाथ में लिए हुए. पक्षियों के पिंजड़े को देखती हुई कविता की किताब पढ़ती हुई आदि भंगिमाओं में दिखाई देती है। चंदायन’ में चाँदा का रूप ऐसा अपूर्व गढ़ा गया है कि जो देखता है, वही बेहोश हो जाता है। बाजिर, रूपचंद, लोरिक, विद्याधर, टूटा सभी उसकी सलोनी मूरत पर घायल है।
बाजिर साधु है लेकिन चाँदा की छवि के सामने उसका चित्त भी बावला हो उठता है। दाऊद जिस समय में रचना कर रहे थे, उस समय बादशाह, राजा. सामंत, सेनानायक और संन्यासी-फकीर सभी मोहिनी मूरत को देखते ही बेसुध हो जाते थे। हृदय में नेह और स्नेह हो या नहीं, स्थूल सौंदर्य के प्रति ऐसा पार्थिव आकर्षण जिद की हद तक मनुष्य को पहुंचा देता था. यह मध्यकाल की विशेष प्रवृत्ति है।
बाजिर रूपचंद से चाँदा के शिख से लेकर नख तक अंगों, रंगों, रेखाओं और आकृतियों को उत्तेजक रूप में प्रस्तुत करता है। चाँदा के रूप-वर्णन में कवि अत्युक्ति का सहारा लेता है। चौदा की माँग में सूरज के प्रथम किरण की लाली है। ललाट उसके चाँद के समान है। उसके रंग में कंचन की चमक है। वह सामान्य स्त्री नहीं स्वर्ग की अप्सरा है। मौह धनुष के समान है। आँख का रंग श्वेत और काला है। क्षण-क्षण में उसके डोरे लाल होते हैं। उसमें मधु भरा हुआ है। ये चंचल हैं। उसमें समुद्र की गहराई है।
Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE
For PDF copy of Solved Assignment
WhatsApp Us - 9113311883(Paid)
0 Comments
Please do not enter any Spam link in the comment box