संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है-‘मेल’ या ‘जोड़’। दो निकटवर्ती वर्गों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, वह संधि कहलाता है; जैसे-देव + इंद्र = देवेन्द्र, सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम आदि।
संधि के प्रकार :-
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ अ + अ = आ
नर + इंद्र = नरेंद्र
अ+इ = ए
ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश -
अ + उ = ओ
ऐसे स्वरों के मेल को ‘स्वर संधि’ कहा जाता है।
जगत् + ईश = जगदीश त् + ई = दी
सत् + जन = सज्जन
त् + जज्ज
सम् + मति = सम्मति
म् + म = म्म
व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
निः + आहार = निराहार – विसर्ग का र
दु: + साहस = दुस्साहस – विसर्ग का स्
विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेल को विसर्ग संधि कहते हैं।
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