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कार्य विष्लेषण के स्वरूप का वर्णन कीजिए और कार्य विश्लेषण जानकारी एकत्र करने की विधियों पर चर्चा कीजिए।

कार्य विश्लेषण कार्य विषयक गतिविधियों, मानव व्यवहार कार्य हेतु आवश्यक मशीनों, औजारों यंत्रों, निष्पादन के मानकों, कार्य के संदर्भों एवं मानवीय आवश्यकताओं के बारे में जानकारी एकत्र करके किया जा सकता है |

कार्य विषयक गतिविधियां यह बताती हैं कि किसी उत्पाद के विपणन, कर्मियों को परामर्श आदि कौन सी गतिविधियां की जानी हैं:

मानव व्यवहार वह व्यवहार है जो कार्य संपादन के लिए आवश्यक है। उदाहरण: संप्रेषण, सौदेबाजी आदि।

मशीनें, औजार, यंत्रादि से कार्य के स्वरूप विषयक जानकारी मिल सकती है। निष्पादन मानक उस कार्य गतिविधि की गुणवता एवं परिमाण को बताते हैं।

कार्य संदर्भ कार्य की दशाओं, समय सूची, संप्रेरणा आदि को सूचित करते हैं।

मानवीय आवश्यकताएं मुख्यतः उन कौशल, विशेषता ज्ञान, अनुभव, प्रशिक्षण आदि से संबंधित है जिनकी कार्य संपादन के लिए आवश्यकता होती है।

किसी उत्पादन या सेवा की निगरानी करने, अर्थात यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्य सफलतापूर्वक संपादित हो जाए, कार्य विश्लेषण प्रक्रिया में गहराई में छानबीन आवश्यक होती है। यह संक्रिया यह जानने में सहायक रहती है किसी विभाग ,/ संभाग को क्‍या चाहिए, और किसी भावी कर्मचारी के पास क्‍या होना चाहिए। यह कार्य के विशिष्ट विवरण निर्धारित करने में भी सहायक रहता है - अर्थात यह बताता है कि कार्य पद, कार्य पर्यवेक्षण, सन्निहित क्रियाएं. कार्य की दशाएं, संभव जोखिमें. संसाधन, उपकरण और कच्चा माल आदि जिनका वर्तमान संभावी कर्मियों द्वारा प्रयोग होना है वे क्‍या हैं। यह प्रक्रिया केवल इन कारकों के निर्धारण तक सीमित नहीं रहती। यह कार्य को संपन्‍न करने के लिए आवश्यक होने वाली व्यवसायिक एंव तकनीकी योग्यताओं को भी जानने का प्रयास करती है। इसमें शिक्षा अनुभव, आंकलन, प्रशिक्षण, प्रतिबद्धता, नेतृत्व कौशल, भौतिक क्षमताएं, संप्रेषण कौशल, उत्तर दायित्व भाव, भावनात्मक एवं सामाजिक दक्षता सूचक तथा असामान्य आनुभाविक मांगों के स्तर शामिल रहते हैं। ये कारक प्रकार, वरिष्ठता अनुक्रम उद्योग, कार्यविशेष में निहित जौखिमों के अनुसार परिवर्तित होते रहते हैं। जैसा हमने जाना है, कार्य विश्लेषण किसी कार्य के विवरण लिखने के लिए जरूरी तथा कार्य विनिर्देशन विषयक जानकारियां प्रदान करता है। मानव संसाधन प्रबंधक या औद्योगिक मनोवैज्ञानिक कार्य विश्लेषण के माध्यम से निम्नलिखित में से एकाधिक प्रकार की जानकारियां एकत्र करता है:

कार्य संदर्भ: यहां भौतिक कार्य की दशाएं, आपदाएं, जौखिम, कार्य समय सारिणी, कार्य में परिवर्तन तथा संगठनात्मक एवं सामाजिक पृष्ठभूमियां सम्मिलित रहती हैं (अर्थात ऐसे व्यक्तियों आदि की संख्या जिनके साथ प्रायः किसी कर्मचारी का संपर्क आएगा)। यहीं पर संप्रेरणा और पुरस्कार विषयक जानकारी भी रखी जा सकती है। 

मानवीय आवश्यकताएं: यह कार्य विषयक विशेषज्ञता या कौशल (तकनीकी / व्यवसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण, कार्य अनुभव) तथा आवश्यक व्यक्तिगत अभिलक्षण (अभिवृत्ति, मानसिकता, भौतिक अभिलक्षण, व्यक्तित्व, अभिरूचियां, भावनात्मक एवं बौद्धिक गुणंक) को सूचित करती हैं।

मानवीय व्यवहार: मानव संसाधन प्रबंधन संप्रेषण, समस्या निपटान और निर्णय क्षमता आदि से संबंद्ध व्यवहार पर जानकारी एकत्र कर सकता है।

कार्य क्रियाएं: वास्तविक कार्य संपादन, कर्त्तव्य और परामर्श मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, शिक्षण एवं लेखन संबंधी जानकारी एकत्र की जा सकती हैं। इस सूची में यह भी होना चाहिए कि किस कर्मचारी ने कब, कैसे एवं क्‍यों ये कार्य किए थे।

यंत्रादि, मशीनें, औजार और कार्य उपस्कर:ः इस भाग में प्रयुक्त विधियों, तकनीकी व्यवसायिक कौशलों (जैसे कि वित्त, लेखांकन, विद्येयन, भाषा, प्रोग्रामिंग) तथा प्रद्धत सेवाएं (परामर्श, मार्गदर्शन एवं सुधार कार्य) आदि सम्मिलित होते हैं।

निष्पादन की कसौटियां: मानव संसाधन प्रबंधक (प्रार) को कार्य निष्पादन स्तर (गुणवत्ता एवं परिमाण) विषयक जानकारी होनी ही चाहिए। वह (पार) इन आंकड़ों का प्रयोग कर्मचारी के संवीक्षण आंकलन में करेगा।

कार्य विश्लेषण जानकारियां एकत्र करने की विधियां 

कार्य विश्लेषण को एकत्र करने की विधियों में सर्वांग संपूर्णता और व्यवस्थागत सटीकता के स्तरों में बहुत अंतर पाए जाते हैं। हम आगे की चर्चा में अधिक प्रयुक्त होने वाली कुछ विधियों को स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे। ये विधियां हैः अवलोकन, साक्षात्कार एवं प्रश्न तालिकाएं ऐतिहासिक दृष्टि से सर्वाधिक प्रयुक्त विधियां रही हैं। हम प्रत्येक विधि के विशेष लाभों और त्रुटियों पर भी अपनी चर्चा में बल देंगे।

अवलोकन: इस विधि में विश्लेषक प्रत्यक्षतः कर्मियों को देखता है या फिर कर्मचारी निष्पादन रिपोर्ट में शामिल वीडियो रिपोर्ट पर विचार करता है। अवलोकन प्रत्यक्षदर्शी सूचना प्रदान करता है। प्रायः विश्लेषक अवलोकन अवधि में किए गए कार्यों एवं दायित्व निर्वहन पर विस्तृत रूप से अपनी टिप्पणियां लेखनीबद्ध करता है। किन्तु विस्तृत टिप्पणियां लिखने से पूर्व उसे यह भी ज्ञान होना चाहिए कि किस बात / चीज / कार्य का अवलोकन करना है। साथ ही अवलोकन विधि में ऐसा समय चुना जाना चाहिए जबकि कर्मचारी सामान्य ढ़ग से अपने कार्य कर रहा है। यह बात उस समय और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है जब दिन, सप्ताह, माह या महीने में एक कर्मचारी को अलग-अलग समय पर अलग-अलग कार्य करने हों। उदाहरण के लिए एक मेडिकल विपणन प्रतिनिधि को विपणन और चिकित्सकों से भेंट पर शुक्रवार को रिपोर्ट देनी हो और शनिवार का अधिकांश समय दवा के स्टॉक के आंकड़े तैयार करने और साप्ताहिक रिपोर्ट बनाने में व नए उत्पादों हेतु नए स्टाकिस्ट दुकान दार तैयार करने में लगाना हो सकता है। इस विधि के सकारात्मक एवं नकारात्मक, दोनों आयाम हैं। सकारात्मक पक्ष में प्रत्यक्ष अवलोकन के कारण एकत्र आंकड़े सटीक होते हैं। दूसरी ओर, कई बार अवलोकनकर्ता की अभिनति (किसी कार्य विशेष को अधिक महत्व देना) भी आंकड़ों में शामिल हो जाती है। अवलोकन कर्ता किसी की समस्या सुलझाने और विचार शक्ति जैसे बौद्धिक क्षमताओं का तो अवलोकन नहीं कर पाता। इसके लिए तो यही आवश्यक होगा कि कर्मचारी की सभी गतिविधियां अवलोकनीय हों, किन्तु प्रबंधकीय कार्य आदि के संदर्भ में यह सदैव संभव नहीं हो पाता।

साक्षात्कार: यह कार्य विश्लेषण की दूसरी बहु प्रयुक्त विधि है। ये खुली चर्चा अर्थात अपने कार्य के बारे में हमें बताइए जैसे निर्बन्ध प्रश्न से शुरू हो सकते हैं। या फिर सुरचित या मानक प्रश्न इसमें सम्मिलित हो सकते हैं। जानकारी के एक ही स्रोत का प्रयोग उसे अभिनत बना सकता है, अतः विश्लेषक कर्मचारी के साक्षात्कार विधि में एक से अधिक परिप्रेक्ष्यों का अनुशीलन कर सकता है। इसके लिए वह उक्त कर्मचारी के एक दम वरिष्ठ एवं उसके अधीनस्थ कर्मियों से भी बातचीत कर लेता है। वह किसी संभाग /इकाई या संगठन के अनेक कर्मियों से साक्षात्कार कर यह जानने का प्रयास कर सकता है कि क्‍या एक जैसे पदनाम धारी व्यक्ति एक जैसे कार्य भी करते हैं या नहीं। इस विधि के लाभ इसकी नम्यता में है विश्लेषक और पूरक प्रश्न पूछ सकता है तथा यही विधि सभी कार्य पदाधिकारियों के लिए उपयोगी हो सकती है। इस विधि की एक त्रुटि भी है: यदि कोई कार्य भाग स्वचालित प्रायः हो गया हो तो वहां सटीक जानकारी पा सकना कठिन हो जाता है। अतः विश्लेषक साक्षात्कार से अधिक कुछ पा नहीं सकता।

सर्वेक्षण: यह विधि प्रायः कागज पेन्सिल और प्रश्न तालिका का अनुप्रयोग है- कर्मचारी उक्त प्रश्न तालिका को भर कर विश्लेषक को लौटा देता है। इस तालिका में

प्रायः कार्य, कार्य भाग, या कार्य की दशाओं आदि पर प्रश्न होते हैं। सर्वेक्षण में ऐसे निर्बन्ध प्रश्न भी हो सकते हैं: इस स्वचालित मशीन को चलाने के लिए किस तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती हैं? या फिर ऐसे निश्चयात्मक प्रश्न क्या यह कार्य पदनाम आपको उपयुक्त है?

i) कार्यशाला प्रबंधक

ii) मशीन चालक

iii) कार्यशाला पर्यवेक्षक

iv) प्रशासकीय सहायक

सर्वेक्षण विधि साक्षात्कार विधि से तीन प्रकार से बेहतर होती हैः

1) इसमें अधिक विशाल स्तर पर आंकड़े एकत्र हो जाते हैं

2) यह लागत प्रभावी रहती है

3) इसमें समय की बचत होती है।

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