किसी घटना के घटित होने में जो परिस्थितियाँ जिम्मेदार होती हैं, उन्हें कारण कहा जाता है। कार्य और कारण को हम एक सिक्के के दो पहलू भी कह सकते हैं, क्योंकि बिना कारण के कोई कार्य या घटना नहीं हो सकती और यदि कोई घटना घटित हुई है, तो उसका अवश्य ही कोई-न-कोई कारण होगा। ई.एच. कार ने लिखा है कि अतीत की घटनाओं की क्रमबद्धता देना तथा कारण और परिणाम के पारस्परिक संबंधों को क्रम से प्रस्तुत करना ही इतिहास है। कार लिखते हैं कि इतिहास का अध्ययन कारणों का अध्ययन है। इतिहासकारों द्वारा कारणों की खोज इसलिए की जाती है, क्योंकि वर्तमान का निर्माण अतीत की नींव पर हुआ है। इस प्रकार वर्तमान का कारण अतीत है, कारणों के अभाव में किसी परिणाम की खोज इतिहास के उद्देश्यों की उपेक्षा सम जाएगी। अत: इतिहासकार का उद्देश्य घटना में छिपे हुए कारणों को ढूंढ निकालना है। अरस्तू ने कार्य-कारण के संबंध में कहा है कि कारणों के अभ. में किसी भी घटना का होना या कार्य करना संभव नहीं है।
इतिहास के प्रणेता हेरोडोटस भी कार्य-कारण संबंध को सहमति देते हैं। उन्होंने अपने एक ऐतिहासिक ग्रंथ में लिखा है कि उनके इतिहास-लेखन का उद्देश्य ग्रीक तथा बर्बर जातियों की उपलब्धियों को सुरक्षित रखना तथा पारस्परिक युद्धों के कारणों की व्याख्या करना है। यूनानी इतिहासकार थुसीदीदेस पर यह आरोप लगाया जाता है कि उसे कार्य-कारण संबंधों का पूर्ण ज्ञान नहीं था। कार्य-कारण संबंध की सही रूप में व्याख्या मांटेस्क्यू ने की थी। उसने स्पष्ट किया कि प्रत्येक शासन के उत्थान और पतन के लिए कुछ नैतिक, भौतिक और सामान्य कारण उत्तरदायी होते हैं। जी. बैरक लाफ कार्य-कारण के विषय में कहते हैं कि इतिहासकार को कारणों की चिंता नहीं करनी चाहिए, उसे मात्र परिणामों पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए, परन्तु बैरक का यह कहना उचित प्रतीत नहीं होता, क्योंकि कारण के अभाव में खोज करना असंभव है। कार्य-कारण संबंध इतना घनिष्ठ है कि एक-दूसरे को पृथक् करना असंभव है।
कार्य-कारण संबंधी घटना के विषय में उदाहरण द्वारा समझाने का प्रयास किया गया है कि कारण एक परिस्थिति है, जो किसी निश्चित घटना के होने के लिए अनिवार्य है और इसे अनिवार्य इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यदि कोई कारण नहीं होगा तो न ही कोई घटना होगी और न ही उसका प्रभाव होगा और यदि कोई कारण मौजूद हो तो वह एक निश्चित परिणाम देता है। वैज्ञानिक अध्ययन से पता चलता है कि विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग होता है और उन सभी व्यक्तियों को स्कर्वी रोग नहीं होता, जिनमें विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में मौजूद था। तो हम यह कह सकते हैं कि विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग होता है। अतः विटामिन सी को हम कारण मान सकते हैं, क्योंकि विटामिन सी की अनुपस्थिति का मतलब है स्कर्वी रोग का होना।
इतिहासकारों द्वारा घटनाओं को सही अनक्रम में व्यवस्थित कर देने से ही घटना की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल जाती। यह पता नहीं चल पाता कि अम घटना क्यों हुई। इसका पता लगाने के लिए यह आवश्यक होता है कि इतिहासकार इस बात का पता लगाए कि वे कौन-सी परिस्थितियाँ होती हैं, जिसका कारण घटना हुई। इसके साथ ही उस घटना का क्या प्रभाव पड़ा। इतिहास में विज्ञान के अनुभववादी सिद्धांतों में व्याख्या और अनुमान एक-दूसरे से जुड़े हैं। एक को दूसरे का कारण भी माना गया है। कारण किसी घटना के होने के लिए पर्याप्त परिस्थिति है। इसका अर्थ यह है कि जहाँ कारण मौजूद होगा वहाँ आवश्यक तौर पर कोई घटना अवश्य घटेगी। इतिहासकारों द्वारा किसी घटना के संबंध में सफल अनुमान को किसी व्याख्या की सत्यता का सूचक माना गया है।
इतिहासकार किसी आवश्यक कारण का पता लगाने के लिए किसी घटना की लगभग वैसी ही परिस्थितियों के साथ तुलना करते हैं और वैसी अनेक घटनाओं का मूल्यांकन कर यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि आवश्यक असर किसकी वजह से हुआ। इतिहासकार किसी भी घटना से जुड़े तीन प्रश्नों पर विशेष ध्यान देते हैं और उत्तर ढूँढने का प्रयास करते हैं। यह प्रश्न हैं कब, कैसे और क्यों। इन प्रश्नों के उत्तर खोजने और तदुपरांत उनका विश्लेषण करने से इतिहासकार किसी भी जानकारी की सच्चाई तक पहुँच सकते हैं। इस विषय में दो बातें आवश्यक हैं। किसी घटना को क्रमवार तरीके से रख देने से किसी घटना की व्याख्या नहीं होती और न ही उसके प्रारंभ, मध्य और अन्त से कोई घटना पूर्ण होती है। इसके लिए आवश्यक है कि किसी भी घटना की बाह्य संरचना की पहचान की जाए, जिससे किसी विशेष गतिविधि का जन्म होता है और विशेष नतीजे भी सामने आते हैं। साथ ही घटना का विस्तृत रूप में वर्णन कार्य-कारण व्याख्या को नहीं बतला पाता, बल्कि इस समय उन परिस्थितियों का पता लगाया जाना आवश्यक है, जिसके कारण घटना घटी।
ऐतिहासिक घटना और साधारण घटना के बीच बहुत अंतर होता है। ऐतिहासिक घटनाओं में इस बात का पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि कोई विशिष्ट घटना क्यों घटी। यह आवश्यक है कि किसी भी घटना के लिए जिम्मेदार परिस्थिति एक क्षण भी हो सकती है। इसके अलावा परिस्थितियों का एक जटिल समूह, ऐतिहासिक घटनाओं का, इतिहासकार द्वारा पूरी तरह से समझाया जाता है कि घटना कब, कहाँ और क्यों घटी। लेकिन इतिहासकार कभी भी भविष्यवाणी नहीं करते हैं। कार्य-कारण संबंध उद्देश्यपरक होता है। इसमें कारण प्रारंभ में और प्रभाव कार्य-कारण के बाद आता है। इतिहासकार कारण का विश्लेषण करते हुए परिस्थितियों की व्याख्या करते हैं, जिसके द्वारा कोई वांछित प्रभाव उत्पन्न होता है। अतः सामूहिकता के भीतर किसी परिस्थिति की पहचान के प्रभावों का पता लगाया जाता है। व्याख्याएँ हमें यह बताने का प्रयास करती हैं कि कोई भी विशेष घटना विशेष समय में क्यों घटित नहीं हुई?
Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE
For PDF copy of Solved Assignment
WhatsApp Us - 9113311883(Paid)
0 Comments
Please do not enter any Spam link in the comment box