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मैं आठवीं क्लास में पढ़ता था। तब मैं क्या समझता हूँगा, क्या नहीं समझता हूँगा। फिर भी वह बातें मुझे बिल्कुल अच्छी नहीं मालूम हो रही थीं।

 सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश जैनेन्द्र के उपन्यास ‘त्यागपत्र’ से लिया गया है। प्रमोद अपनी बुआ मृणाल के प्रति उसके पिता के व्यवहार पर विचार करता है कि पिता ने उसे क्यों मारा होगा,

किन्तु उस समय वह आठवीं कक्षा में पढ़ता था और इन सब बातों को नहीं समझता था, लेकिन अब वह इन सब बातों को समझता है, इसी सन्दर्भ में वह विचार करता है

व्याख्या – उस समय मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था, तो मुझे दुनियादारी की बातें अधिक समझ नहीं आती थीं, किन्तु पिता का बुआ पर क्रोध करना और उन्हें मारना उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था फिर भी उसे गुस्सा आ रहा था अपने पिता पर कि वे बुआ को प्रताड़ित कर रहे हैं।

इस कारण वह पिता से अविनय करने को भी उद्धत था, लेकिन वह यह भी समझने की कोशिश कर रहा था कि कुछ ऐसा अवश्य है, जिससे पिता परेशान है और इसी कारण वे क्रोध में हैं, शायद यही सोचकर प्रमोद चाहकर भी पिता के सामने कुछ कह नहीं सका।

विशेष- 1. आत्ममंथन शैली है।

2. किशोर बालक परिपक्व न होकर भी स्थिति का आकलन कर सकते हैं. इसी भाव की अभिव्यक्ति है।

3. तत्कालीन भारतीम समाज का चित्रण है।

4. एक बच्चे के पिता और बुआ के साथ आत्मीय सम्बन्ध होने के कारण द्वंद्व का चित्रण है।

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