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प्राचीन यूनानी सभ्यता के प्रजातन्त्र में रूपान्तरण का विश्लेषण कीजिए |

 संभ्रांत वर्ग और किसानों के बीच हुए संघर्ष का समय पुरातन युग 800 से 500 ई.पू. के बीच का है। इस संघर्ष के मूल कारण हमें अन्धकार युग के उत्तरार्द्ध में ही मिलने शुरू हो जाते हैं। इस समय भूमिपति अभिजात वर्ग की स्थिति मजबूत होती चली गयी। पुरातन युग में इस अभिजात वर्ग ने भूमि और यूनानी राज्यों के राजनैतिक ढांचे पर अपना अधिकार जमा लिया था। इस समय छोटे किसानों के लिए कई समस्याएं खड़ी हुईं, जैसे

छोटे किसान भूख से मरने लगे।
जिन अमीर भूमिपतियों से वो ऋण लेते थे, उसे न चुका ।
पाने की स्थिति में उन्हें गुलाम बना लिया जाता था।
किसानों से उनकी जमीन छीन ली जाती थी।

राजनैतिक सत्ता में उनकी कोई भागीदारी नहीं थी, आदि। इस प्रकार की अनेक समस्याओं का सामना किसानों को करना पड़ रहा था, जिससे परेशान होकर छोटे किसानों ने अभिजात वर्ग के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया।

यह संघर्ष लम्बा चल रहा था। इससे अभिजात वर्ग के लिए संकट पैदा होना शुरू हो गया और अब वे अपनी समृद्धि बचाने के लिए किसानों को कुछ रियायतें व सुधार देने के लिए राजी हो गये थे। एथेन्स में हुए कुछ सुधारों के सम्बन्ध में हमें प्रमाण मिलते हैं। जैसे 594 ई.पू. में एथेन्स में सोलोन नामक व्यक्ति को पंच नियुक्त किया गया, जिससे सुधार किये जा सकें और उनके लिए प्रारूप तैयार किया जा सके।

सोलोन को व्यापक अधिकार दिये गये थे। इन सुधारों को बनाने और लागू करने के लिए उसने निम्नलिखित सुधार किये  भूमि का पुनर्वितरण और ऋण बंधन से मुक्ति किसानों की सबसे बड़ी मांग थी, क्योंकि ऋण बंधन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या थी। सोलोन के सुधार किये कि जो किसान ऋण नहीं दे सकते उन्हें बन्दी न माना जाये। किसानों का मौजूदा ऋण भी माफ कर दिया गया।

सोलोन के सुधारों के कुछ दशकों के भीतर ही स्वाभाविक रूप से एथेन्स में नए आन्दोलन शुरू हो गये। दूसरे राज्य भी इस प्रकार के सुधारों को लागू करवाने के लिए आन्दोलन करने लगे या जिन राज्यों में सुधार आधे-अधूरे रूप से हुए थे, वहां भी इन्हें पूर्ण रूप से कराने के लिए आन्दोलन शुरू हो गये। इस अशांत माहौल में कई राजनीतिक सत्ताओं का तख्ता पलट दिया गया और उसकी जगह तानाशाही शासन ने ले ली।

इन घटनाओं के कारण अधिकांश यूनानी राज्यों के शासन की प्रकृति पूरी तरह से बदल गयी। एथेन्स में पेसीसट्रेटस नामक व्यक्ति ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और अपने आपको सर्वोच्च शासक घोषित कर दिया।

इस प्रकार की सरकार को तानाशाही का नाम दिया गया। इसने कई सुधार किये, जैसे मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था का अन्त किया गया। कुलीनतंत्र संस्थाओं का सफाया किया। इन यूनानी तानाशाही सरकारों को गरीब किसानों का और ऐसे वर्ग का समर्थन प्राप्त था, जिन्होंने व्यापार से धन तो कमाया था, परन्तु राजनैतिक सत्ता में उनकी भागीदारी नहीं थी।

527 ई.पू. में जब पेसीसट्रेटस की मृत्यु हुई, तो उसकी जगह उसका पुत्र हिप्पियास गद्दी पर बैठा। इस प्रकार एक तानाशाही शासन को राजवंशीय शासन में बदलने का प्रयास किया गया। इससे लोगों में बड़ा असन्तोष उत्पन्न हुआ और वैसे भी इस समय तक तानाशाही शासन की कोई जरूरत नहीं रह गई थी। परिणामस्वरूप 510 ई.पू. में हिप्पियास को अपदस्थ कर दिया गया। यह विधि यूनान में क्लासिकी जनतंत्र की शुरुआत मानी जाती है। 

क्लासिकी युग और उसके बाद भी यूनान में तानाशाही शासन को अच्छी दृष्टि नहीं देखा जाता था। परन्तु इतना तो अवश्य कहा जा सकता है कि इस तानाशाही ने ही कुलीनतंत्र से जनतंत्र की ओर बढ़ने का रास्ता साफ किया तानाशाहों ने उन समस्याओं को कमजोर कर दिया था, जिसके तहत अभिजात वर्ग राजनैतिक सत्ता हथियाए हुए था। यह घटना 600 ई.पू. के आसपास होनी शुरू हुई और सिर्फ एथेन्स तक सीमित न होकर यह घटना कई जगहों पर हुई। इस प्रकार हम देखते हैं कि किस तरह किसानों द्वारा शुरू किये गये अभिजात वर्ग के संघर्ष से तानाशाही की स्थापना हुई और उसका स्थान धीरे-धीरे जनतंत्र ने ले लिया।

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