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मध्ययुगीन यूरोप में प्रमुख वैज्ञानिक प्रगतियाँ

 पुनर्जागरण के साथ ही आधुनिक विज्ञान का प्रारंभ माना जाता है। मध्ययुगीन यूरोप के बौद्धिक जीवन पर चर्च का अधिकार था। किसी भी विचार को तब तक सत्य नहीं माना नहीं जाता था, जब तक चर्च द्वारा स्वीकृत प्राचीन दार्शनिकों के विचारों से समर्थित न हो। पुनर्जागरण काल के विचारकों ने ऐसे अंधविश्वासों पर विश्वास करने से इंकार कर दिया। बेकन ने कहा कि अवलोकन और परीक्षण के द्वारा ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

बेकन ने ज्ञान के तीन आधार-अनुभव, तर्क एवं प्रमाण बताए और इन तीनों में उसने प्रमाण को सबसे प्रमुख माना। यह नवीन दर्शन पूर्व के रूढ़िवादी दर्शन से अलग था, जिसने सभी चीजों को तर्कपूर्ण एवं संदेहपूर्ण दृष्टि से देखने की दृष्टिकोण दिया। आरंभिक वैज्ञानिक खोज खगोलविज्ञान के क्षेत्र में हुई। कोपरनिकस ने प्रतिपादित किया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर चक्कर लगाती है और सूर्य की परिक्रमा करती है। 

यह पुराने परंपरागत विचार से बिल्कुल भिन्न था। प्राचीन काल से यह मान्यता चली आ रही थी कि पृथ्वी विश्व के केन्द्र में स्थित है। इसलिए इस विचार को धर्म-विरोधी करार दिया गया। कोपरनिकस के सिद्धांत की पुष्टि बाद में गेलिलियो ने की। गैलिलियो का जन्म कोपरनिकस की मृत्यु के ग्यारह साल बाद हुआ था। गैलिलियो ने अपनी दूरबीन से कोपरनिकस के सिद्धांत की पुष्टि की बुढ़ापे में गैलिलियो पर मुकदमा चलाया गया। उसे धर्मविरोधी घोषित किया गया और उसे अपने विचार वापस लेने के लिए विवश किया गया।

जर्मनी के वैज्ञानिक केपलर ने गणित की सहायता से स्पष्ट किया कि ग्रह किस प्रकार सूर्य की परिक्रमा करते हैं। उसने ग्रहों की गतियों और कक्षाके बारे में नियम प्रस्तुत किया। न्यूटन ने केपलर के कार्य को आगे बढ़ाया। गणित की ही सहायता से न्यूटन ने सिद्ध किया कि सभी खगोलीय पिंड गुरुत्वाकर्षण के अन्तर्गत यात्रा करते हैं। साथ ही न्यूटन ने गति के तीन सिद्धांत भी प्रतिपादित किये। इन वैज्ञानिकों के साथ विज्ञान के जिस आधुनिक युग का आरंभ हुआ, उसने न केवल मानव के ज्ञान में वृद्धि की, बल्कि अन्वेषण की एक ऐसी विधि भी प्रस्तुत की, जिसका दूसरे विषयों के अध्ययन में उपयोग किया जा सकता था।

इ. में बल्जियमवासी वैज्ञानिक वसलिए न अपना सचित्र ग्रंथ ‘द ह्यूमनी कापोरिस फाब्रिका’ प्रकाशित किया। यह ग्रंथ मानव शरीर के उसके विच्छेदन-कार्या पर आधारित था। इस ग्रंथ में पहली बार मानव शरीर को रचना क्रिया के बारे पूर्ण जानकारी प्रस्तुत की गई थी। ट्रिनिटी में चर्च के विश्वास को चुनौती देने के अपराध में उसे मौत की सजा दी गई।  इंग्लैंडवासी वैज्ञानिक हार्वे ने रक्त परिसंचरण की सतत क्रिया अर्थात् रक्त का हदय से शरीर के सभी अंगों में पहुंचना और फिर हृदय में वापस लौटने का विवरण प्रस्तुत किया।

इस ज्ञान से अतीत की अनेक गलतियों को सही करना संभव हुआ। स्वास्थ्य तथा रोगों की समस्याओं के अध्ययन का एक नया रास्ता खुला। नये आविष्कारों से जो नया ज्ञान प्राप्त हुआ, उसका तत्काल व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं हुआ। हालांकि मुद्रण की व्यवस्था ने नए प्रचारों को फैलाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

किन्तु आविष्कारों के प्रचार में और आम जीवन में शामिल करने में लंबा समय लगा। जैसाकि हम जानते हैं कि अरबों के द्वारा भारतीय अंक यूरोप में 13वीं सदी में पहुंचा। शून्य सहित दस गणनाओं के लिए बहुत ही सुविधाजनक थे, फिर भी रोमन अंकों का प्रचलन जारी रहा। मानवीय अंक पद्धति ने यूरोप के गणित के विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उपर्युक्त चर्चा से पता चलता है कि पुनर्जागरण का सर्वाधिक प्रभाव विज्ञान पर पड़ा। मध्ययुग में चर्च के प्रति आस्था में कमी से लोग संकीर्ण विचारों को त्यागकर आधुनिक विचारों के संपर्क में आए, जिससे विज्ञान का विकास हुआ। केपलर, कोपरनिकस, न्यूटन, हार्वे आदि ने विज्ञान की विभिन्न विधाओं में एक नया आयाम प्रदान किया। उस काल में वैज्ञानिकों ने न सिर्फ नवीन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया, बल्कि पूर्व ज्ञान को अपने में समेटकर नवीन कल्पनाओं का सृजन किया। 

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