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संप्रेषण की प्रक्रिया का विस्तृत विवेचन कीजिए ।

 संप्रेषण की प्रक्रिया: संप्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख तत्व कौन कौन से हैं? डेविड के बार्लो के अनुसार सुविधा तथा समझ की दृष्टि से संप्रेषण |

प्रक्रिया के प्रमुख तत्त्व हैं :

विचार: किसी सन्देश को प्रेषित करने से पूर्व उस सन्देशवाहक के मस्तिष्क में उस सन्देश के सम्बन्ध में विचार की उत्पत्ति होती है जिसे वह उसके प्राप्तकर्ता को प्रेषित करना चाहता है।

प्रत्येक लिखित या मौखिक सन्देश विचार की उत्पत्ति से प्रारम्भ होता है। अत: मस्तिष्क में उठने वाला कोई भी उद्वेग जिसे व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ बाँटना चाहता है सारांश रूप में उत्पन्न विचार है।

प्रेषक: प्रेषक संप्रेषणकर्ता या सन्देश देने वाले व्यक्ति को कहते हैं। इसके द्वारा सन्देश का प्रेषण किया जाता है। सम्प्रेषक सन्देश द्वारा प्रापक के व्यवहार को गति प्रदान करने वाली शक्ति है।

प्राप्तकर्ता: संप्रेषण में दूसरा महत्त्वपूर्ण पक्षकार सन्देश प्रापक है। यह पक्षकार सन्देश को प्राप्त करता है। जिसके _ बिना सन्देश की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकती।

सन्देश: सन्देश में सूचना, विचार संकेत दृष्टिकोण, निर्देश, आदेश, परिवेदना, सुझाव, आदि शामिल हैं। यह लिखित, मौखिक, शाब्दिक अथवा सांकेतिक होता है। एक अच्छे सन्देश की भाषा सरल स्पष्ट तथा समग्र होनी आवश्यक है। 

प्रतिपुष्टि या पुनर्निवेश : जब सन्देश प्रापक द्वारा सन्देश को मूल रूप से अथवा उसी दृष्टिकोणानुसार समझ लिया जाता है जैसा कि सन्देश प्रेषक सम्प्रेषित करता है। तब सन्देश प्राप्तकर्ता द्वारा सन्देश के सम्बन्ध में की गई अभिव्यक्ति का ही प्रतिपुष्टि कहते हैं।

शैमन-वीवर मॉडल: संप्रेषण के सन्देशबद्ध सिद्धान्त का प्रतिपादन शैमन-वीवर द्वारा किया गया। शैमन-वीवर के अनुसार संप्रेषण प्रक्रिया में पाँच तत्त्व निहित हैं जो सूचना स्रोत से प्रारम्भ होकर प्रेषक द्वारा कोलाहल स्रोत को पार करते हुए सन्देश के रूप में उनके लक्ष्य तक प्राप्तकर्ता के पास सम्प्रेपित होते हैं :

i. सूचना सोत : यह सम्प्रेष्ण प्रक्रिया का प्रारम्भ है। आज के वैज्ञानिक युग में सूचना एक साधन बन चुकी है। प्रबन्धन को उचित निर्णय लेने में सूचना अनिवार्य भूमिका निभाती है।

अत: सूचना ही एक ऐसा स्रोत है जिसके द्वारा व्यक्तियों को सोच समझ को परिवर्तित किया जा सकता हैं। संप्रेषण प्रक्रिया में सूचना स्रोत से ही मनुष्य के मस्तिष्क में विचारों की उत्पत्ति होती है जो सन्देश के रूप में परिवर्तित होकर अपने गन्तव्य स्थान तक पहुँचता है।

ii. प्रेषक : जिस व्यक्ति द्वारा संदेश को प्रेषित किया जाता है वह संप्रेषण में प्रेषक कहलाता है। शैमन तथा वीवर मॉडल के अनुसार संप्रेषण में प्रेषक की अहम भूमिका होती है जो सूचना स्रोत से विचारों को एकत्रित करके संप्रेषण के माध्यम से संदेश को उनके प्राप्तकर्ता तक पहुँचाता है। प्रेषक संदेश को संदेश बद्ध करके भेजता है।

iii. कोलाहल स्रोत : इस मॉडल में कोलाहल या शोर सोत को भी महत्त्व दिया गया है। संप्रेषण प्रक्रिया में जिस माध्यम से सन्देश प्रेषित होते हैं उसमें शोरगुल का पाया जाना स्वाभाविक है जिसकी वजह से सन्देश में अशुद्धि भी हो सकती

iv. प्रापक : सम्प्रेपण का उद्देश्य सन्देश को किसी अन्य तक पहुँचाना होता है। जिसके पास सन्देश प्रेषित किया जाता है वह सन्देश का पापक या प्राप्तकर्ता होता है।

v. लक्ष्य : यह संचार प्रक्रिया की अन्तिम कड़ी है जिसको आधार बनाकर सन्देश देने वाला अपना सन्देश देकर अन्तिम लक्ष्य की प्राप्ति करता है।

vi. सन्देश: एक ऐसी सूचना जिसे प्रेषक प्राप्तकर्ता के पास भेजना चाहता है वह सन्देश कहलाती है।

मर्फी मॉडल: इस मॉडल के प्रतिपादक मर्फी, ऐच. डब्ल्यू. हिल्डबेन्ड तथा जे. पी. थॉमस हैं। उनके अनुसार संप्रेषण प्रक्रिया के छ: मुख्य तत्त्व होते हैं। इस मॉडल के अनुसार इसमें छ: मुख्य भाग होते हैं :

i. संदर्भ
ii. सन्देशवाहक
iii. सन्देश
iv. माध्यम
v. प्राप्तकर्ता

थिल एवं बोवी मॉडल:

“व्यावसायिक संप्रेषण घटनाओं की एक कड़ी है जिसकी पाँच अवस्थाएं हैं जो प्रेषक तथा प्राप्तकर्ता को जोड़ती हैं। इस मॉडल के अनुसार सन्देश भेजने वाले के पास कोई विचार होता है जो वास्तविक संसार से सम्बन्धित घटनाओं का सरलीकरण होता है अर्थात् उस विचार को पुष्ट करने में उसने कई चीजों को छोड़ा होता है तथा अधिकतम को मान्यता दी होती है, इससे प्रारम्भ होकर यही विचार सन्देश के रूप में परिवर्तित होकर सन्देश बन जाता है जिसे सन्देश के रूप में प्रेषित करके सन्देश प्राप्तकर्ता तक पहुँचा कर उसकी (अर्थात् प्राप्तकर्ता की) प्रतिक्रिया ली जाती है।”

बरलों का संप्रेषण मॉडल:

डी. के. बरलों द्वारा सात अवस्थाओं वाला संचार प्रक्रिया का संचार मॉडल प्रस्तुत किया गया। इसके अनुसार संचार प्रक्रिया संचार स्रोत से प्रारम्भ होकर प्रतिक्रिया या प्रतिपुष्टि रूपी अन्तिम कड़ी के रूप में समाप्त होती है।

लेसिकर, पेटाइट एवं फ्लैटले मॉडल:

इस मॉडल को संवेदनशीलता मॉडल के रूप में प्रतिपादित किया गया। इसमें संप्रेषण प्रक्रिया सन्देश प्रेषण से प्रारम्भ होकर क्रम की पुन:आवृत्ति पर समाप्त होता है। इन विद्वानों ने स्पष्ट किया कि संप्रेषण प्रक्रिया में संवेदन तन्त्र का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि सन्देश प्राप्तकर्ता द्वारा सन्देश संवेदन तन्त्र द्वारा प्राप्त किया जाता है। संवेदन तन्त्र संवाद को खोजकर संवाद के साथ-साथ पहले से उपलब्ध कुछ अन्य सूचनाएँ भी एकत्रित करता है।

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