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राजभाषा बनाम राष्ट्रमाषा

 राजभाषा का सीधा-सदा है राजकाज अनि मान-प्रशासन संभवा सरकारी कामकाज की भाषा। संविधान सभा की स्वीकृति से 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी राजभाषा बनी।

इस प्रकार स राजभाषा एक संवैधानिक शन्न है, जिसको परिभाष इस प्रकार से दी जा सकती है-समान्य शासन-प्रशासन, न्याय-प्रक्रिया, संसद-विधान मंडल एवं सरकारी कार्यालयों में प्रयोग हेतु संविधान द्वारा स्वीकृत भाषा एवं लिपि तथा भारतीय अंकों का रूप ही राजभाषा है।

राजभाषा के ही समांतर राष्ट्रभाषा शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। राजभाषा के स्वरूप को अच्छी तरह समझने के लिए यह जान लेना आवश्यक है कि राष्ट्रभाषा क्या है? राष्ट्रभाषा का अर्थ-एक राष्ट्र में समस्त राष्ट्रीय तत्वों को व्यक्त करने वाली भाषा जो राष्ट्र में भावनात्मक एकता कायम रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हो राष्ट्रभाषा है। 

भारत एक ऐसा बहुभाषा-भाषी राष्ट्र है, जहां समृद्ध संस्कृति की विशाल परंपरा है, जो यहां की विभिन भाषाओं के माध्यम से अभिव्यक्त होती है।

इस प्रकार से इस राष्ट्र में अनेक भाषाएं व्यवहित होती हैं। इनमें से प्रमुख 22 भाषाओं को राष्ट्रीय स्वीकृति मिली है तथा उन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।

इनमें हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है, जो लिखने, पढ़ने, बोलने तथा समझने में अपेक्षाकृत सहज है तथा सभी भाषाओं के बीच संपर्क-सूत्र | का काम करती है।

प्रत्येक भारतवासी इसे समझता और थोड़े-बहुत परिवर्तनों के साथ बोलता है। इस प्रकार हिंदी का प्रयोग अखिल भारतीय स्तर पर सर्व स्वीकृत माध्यम के रूप में हो रहा है।

हिंदी का यह राष्ट्रभाषा रूप है। राजभाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग संविधान के अनुसार नियम बनाकर हो रहा है, इसलिए सैद्धांतिक स्तर पर राजभाषा और राष्ट्रभाषा एक ही चीज नहीं है, उनमें पर्याप्त अंतर है।

वर्तमान समय में हिंदी राष्ट्रभाषा भाषा के साथ-साथ संघ तथा ।। राज्यों की राजभाषा है।

राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर

1 राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है, जबकि राष्ट्रभाषा स्वाभाविक रूप से सृजित शब्द। इस प्रकार राजभाषा प्रशासन की भाषा है तथा राष्ट्रभाषा जनता की भाषा।

2 समस्त राष्ट्रीय तत्वों की अभिव्यक्ति राष्ट्रभाषा में होती है, जबकि केवल प्रशासनिक अभिव्यक्ति राजभाषा में होती है। 

3 राजभाषा की शब्दावली सीमित है, जबकि राष्ट्रभाषा की शब्दावली विस्तृत।

4 राजभाषा, नियमों से बंधी होती है, जबकि राष्ट्रभाषा स्वतंत्र या मुक्त प्रकृति की होती है।

5 राजभाषा में शब्दों का प्रवेश, निर्माण अभया अनुकूलन (विशेषकर तकनीकी प्रकृति के शब्दों का) विद्वानों एवं विशेषज्ञों की समिति की राम से किया जाता है, जबकि राष्ट्रभाषा में शब्द समान से आता है तभा प्रचलन के आधार पर रूड़ होकर मान्यता प्राप्त करता है इसके निर्माण में सभी का हाथ होता है।

6 राजभाषा, हिंदी भाषा का प्रयोजन मूलक रूप है इसलिए तकनीकी सृजन है। जबकि राष्ट्रभाषा, हिंदी भाषा का स्वाभाविक तथा पारंपरिक रूप है।

7 रानभाषा के प्रयोग का क्षेत्र सीमित होता है, जबकि राष्ट्रभाषा का क्षेत्र इतना व्यापक कि उसका व्यवहार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी होता है।

8 राजभाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग उत्तरोत्तर अंग्रेजी की जगह पर हो रहा है जबकि राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग स्वाभाविक स्वरूप से देश-विदेश सर्वत्र हो रहा है।

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