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ओजोन परत हसन क्या है। इसके प्रभाव को समझाइए।

ओजोन परत का क्षरण ऊपरी वायुमंडल में मौजूद ओजोन परत का पतला होना है। ऐसा तब होता है जब वातावरण में क्लोरीन और ब्रोमीन परमाणु ओजोन के संपर्क में आते हैं और ओजोन के अणुओं को नष्ट कर देते हैं। एक क्लोरीन ओजोन के 100,000 अणुओं को नष्ट कर सकता है। यह बनने से ज्यादा जल्दी नष्ट हो जाता है।

   कुछ यौगिक उच्च पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आने पर क्लोरीन और ब्रोमीन छोड़ते हैं, जो तब ओजोन परत के क्षरण में योगदान करते हैं। ऐसे यौगिकों को ओजोन क्षयकारी पदार्थ (ODS) के रूप में जाना जाता है।

   ओजोन-क्षयकारी पदार्थ जिनमें क्लोरीन होता है, उनमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन टेट्राक्लोराइड, हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं। जबकि, ओजोन-क्षयकारी पदार्थ जिनमें ब्रोमीन होता है, वे हैं हेलोन, मिथाइल ब्रोमाइड और हाइड्रो ब्रोमोफ्लोरोकार्बन।

   क्लोरोफ्लोरोकार्बन सबसे प्रचुर मात्रा में ओजोन-क्षयकारी पदार्थ हैं। यह केवल तभी होता है जब क्लोरीन परमाणु किसी अन्य अणु के साथ प्रतिक्रिया करता है, यह ओजोन के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है।

   मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को 1987 में ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के उपयोग, उत्पादन और आयात को रोकने और पृथ्वी की ओजोन परत की रक्षा के लिए वातावरण में उनकी एकाग्रता को कम करने के लिए प्रस्तावित किया गया था।

मनुष्यों तथा जानवरों के स्वास्थ्य पर प्रभाव : मानवों में पराबैंगनी विकिरणों के उद्भासन से कैटेरेक्ट (सफेद मोतिया) तथा त्वचा कैंसर हो जाते हैं। इससे प्रतिरक्षा तंत्र भी प्रभावित होता है जिससे संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

स्थलीय पौधो पर प्रभाव : यूवी.बी. विकिरण से पौधों की भारीरक्रियात्मक एवं विकास प्रक्रियाओं पर भी प्रभाव पड़ता है। पौधों में प्रकाष संष्लेषण ठीक प्रकार से न होने के कारण अनेक पौधों में वृद्धि, उत्पादकता और गुणवत्ता कम हो जाती है। यू.वी.बी. विकिरण के कारण उत्परिवर्तन (#रधा/णा3) भी हो सकते हैं जिसके कारण जैवविविधता भी प्रभावित हो सकती है।

जलीय पारितंत्रों पर प्रभाव : क्योंकि पादपप्लवक (|ाछ19/1007) खाद्य श्रृंखलाओं के आरंभ बिंदु होते हैं, इसलिए पराबैंगनी विकिरण के प्रभाव से पादप प्लवक कम हो जाने से मछली उत्पादन प्रभावित होता है। पराबैंगनी विकिरण से अनेक जलीय जीवों की आरंभिक विकास अवस्थाएं भी क्षतिग्रस्त होती हैं।

पदार्थों पर प्रभाव : यू.वी.बी. किरणों से बहुलकों की निम्नीकरण दर बढ़ जाती है।

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