संकटदायी अपशिष्ट का अनुपयुकत निस्तारण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। अपशिष्ट निस्तारण के सामान्य तरीके जैसे अस्वास्थ्यकर खुले खत्ते,डंप, लैन्डफिलिंग, जलाशयों में विसर्जन अथवा खुले गर्तों में जलाने में संकटदायी अपशिष्टों के संबंध में रूपांतरण की आवश्यकता है। अनुपयुक्त अपशिष्ट निस्तारण का प्रमुख संकट मिट्टी और भूजल का संदूषण है। ये व्यापक रूप से संकटदायी पदार्थों युक्त अपशिष्ट का लैन्डफिलों अथवा भूमि पर ढेर लगाने से उत्पन्न होता है।
- i) ऐसे संदूषकों को सांस के साथ ग्रहण करना जो गर्म जल से वाष्पीकृत होते हैं
- ii) नहाने और धुलाई के काल में त्वचा द्वारा अवशोषण
- iii) प्रदूषित भूजल के लिए उद्भासित पादपों अथवा जंतुओं से प्राप्त वस्तुओं
के उपभोग द्वारा अंर्तग्रहण, और
- iv) संदूषित मृदा के हस्ताचरण के काल में त्वचा द्वारा अवशोषण |
संकटदायी अपशिष्टों की अनुपयुक््त और अनियंत्रित
डंपिंग,/क्षेपण के विरूद्ध विश्वभर में जनता मे जागरूकता पैदा
की गई है। ऐसे चलनों से मवेशियों की मृत्यु और मनुष्यों में बीमारियाँ होती हैं।
Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE
For PDF copy of Solved Assignment
WhatsApp Us - 9113311883(Paid)
0 Comments
Please do not enter any Spam link in the comment box