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गाँधी जी द्वारा सुझाई गई शिल्प-केन्द्रित (Craft-centred) पाठ्यचर्या की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।

गांधी जी क॑ अनुसार, संपूर्ण मानव को शिक्षित करने के लिए, शिक्षा को हस्त कौशल-केंद्रित होने की आवश्यकता है| हस्त कौशल-केंद्रित शिक्षा अनुभवों तथा गतिविधियों के साथ-साथ विषयों के विभिन्‍न प्रकार के कौशलों के साथ पारस्परिक संबंध पर बल देती है। यह एक सवांगीण व्यक्तित्व के विकास में सहायता करती है, जिसमें ज्ञान, क्रिया तथा भावनाओं को समान रूप से संतुलित किया गया है। बच्चे अपनी शिक्षा का पाठ्यक्रम समाप्त करने के पश्चात उनकी आजीविका कमाने में सक्षम होने चाहिए। उन्होंने पाठ्यक्रम में हस्त कौशल के एकीकरण का भी सुझाव दिया, जिसमें शिल्प को ना केवल एक अभ्यास के रूप मेँ प्रयोग किया जाए बल्कि इसे अजीविका के रूप में प्रयोग किया जाए।

   पाठ्यक्रम का उद्देश्य है, अधिगमकर्ता की सर्वांगीण विकास जिसमें निम्नलिखित को सम्मिलित करना चाहिए-

  • Ø  स्थानीय आवश्यकता तथा शर्तों के अनुसार एक आधारभूत कौशल।
  • Ø  मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाना।
  • Ø  अंकगणित
  • Ø  सामाजिक अध्ययन
  • Ø  सामान्य विज्ञान जिसमें प्रकृति अध्ययन, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान, शरीर विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान तथा भौतिक संस्कृति शामिल है।
  • Ø  कला-कार्य
  • Ø  संगीत
  • Ø  लड़कियों के लिए गृह विज्ञान

गांधी जी की हस्त कौशल-केंद्रित शिक्षा सहयोगपूर्ण तथा सहकारी गतिविधियों को बढ़ावा देती है तथा इन दोनों में से एक प्रकार का सामाजिक नियंत्रण या सामाजिक अनुशासन उभर कर आता है। सामाजिक अनुशासन की अवधारणा उनके शिक्षा के माध्यम से नागरिकता के आदर्शों पर बल देने से भी स्पष्ट होती है। हस्त कौशल-केंद्रित शिक्षा को बुनियादी शिक्षा के रूप में जाना जाता है। इस भाग में, बुनियादी शिक्षा प्रणाली की व्याख्या की गई है तथा शिक्षा-विज्ञान का भी प्रयोग इस शिक्षा को प्रदान करने के लिए किया जाएगा।

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