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मनोविकास की प्रक्रिया के घटक

संवेग को एक ऐसे प्रकरण के रूप में देखा जा सकता है जो जटिल होने के साथ-साथ इनके कई घटक भी होते हैं । संवेग प्रक्रिया के छह मुख्य घटक हैं, इन पर परिचर्चा निम्नानुसार है:

  • ·         संज्ञानात्मक मूज़्यांकन: पहला घटक संज्ञानात्मक मूल्यांकन है। यहाँ व्यक्तिगत अर्थ के आधार पर परिस्थिति का आकलन किया जाता है उदाहरण के लिए, यदि कोई क्रिकेट टीम जीतती है, तो उस परिस्थिति के व्यक्तिगत अर्थ के संबंध में एक संज्ञानात्मक मूल्यांकन होगा, चाहे यह व्यक्ति इस टीम का समर्थन करता है या नहीं। यदि वह इस टीम का समर्थन करता है और वह इस टीम का एक कट्टर प्रषंसक है, तो स्थिति का व्यक्तिगत अर्थ होने या व्यक्तिगत रूप से व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होने के रूप में मूल्यांकन किया जाएगा संज्ञानात्मक मूल्यांकन संवेग के अन्य घटकों को भी निर्देशित करता है
  • ·         व्यक्तिनिष्ठ अनुमकः यह भावात्मक स्थिति या भावनात्मक लहजे से संबंधित होता है जो संवेग द्वारा प्राप्त होता है |
  • ·         विचार और क्रिया प्रवृत्ति: इस स्थिति में व्यक्ति एक विशेष तरीके से सोचने या कुछ कार्यों को करने का अनुरोध प्रदर्शित करता,“ करती है। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति गुस्से में होता है, तो वह आक्रामक तरीके से कार्य कर सकता,“सकती है
  • ·         आंतरिक शारीरिक परिवर्तन: यह वो शारीरिक प्रतिक्रियाएं हैं जिनमें मुख्य रूप से स्वायत्त तंत्रिका तंत्र में परिवर्तन होता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत हृदय गति में परिवर्तन हो सकता है या व्यक्ति को पसीना आना शुरू हो सकता है। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति गुस्से में होता है, तो वह तेजी से सांस ले सकता है|
  • ·         चेहरे के भाव: इसमें चेहरे के विभिन्‍न स्थानों जैसे, गाल, होंठ, नाक और कई स्थानों पर परिवर्तन होता है। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति खुश होता है, तो वह मुसकुराएगा,/ मुसकुराएगी
  • ·         संवेगों के प्रति प्रतिक्रिया: यह बतलाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने संवेगों का सामना करता है और प्रतिक्रिया देता है।

कोई भी संवेग इन छह घटकों के परिणामस्वरूप होती है। किसी भी संवेग को उजागर करने के लिए शारीरिक, संज्ञानात्मक और व्यवहारिक घटक होंगे। जब कोई व्यक्ति क्रोध का अनुभव करता है, तो वह सहानुभूतिपूर्ण उत्तेजन के कारण शारीरिक उत्तेजना का अनुभव कर सकता / सकती है इसका एक संज्ञानात्मक घटक भी है क्योंकि व्यक्ति यह मान सकता है कि वह खतरे में है। इस प्रकार, व्यक्ति परिहार की प्रवृत्ति प्रदर्शित कर सकता है, जो व्यवहार घटक से संबंधित है। इसी तरह, जब कोई व्यक्ति गुस्से में होता है, तो वह अनुकम्पी और परानुकम्पी उत्तेजन का अनुभव करेगा | व्यक्ति को यह विश्वास होगा कि उसके साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है और इस कारण उस व्यक्ति में प्रतिक्रिया करने की प्रवृत्ति होगी (रथुस, 2008)

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