आपदा क्षति आकलन के निम्नलिखित महत्वपूर्ण तत्व हैं:
- 1) आवश्यक सूचना के प्रकार तथा आँकड़ें संग्रहण के स्रोतों की पहचान करना
- 2) प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों से औँकड़ें एकत्रित करना
- 3) ऑकड़ों का विश्लेषण करना
- 4) ऑकड़ों की व्याख्या करना
- 5) रिपोर्ट बनाना
- 6) निष्कर्ष निकालना
- 7) पूर्वानुमान लगाना
- 8)
निर्णयकर्त्ताओं, योजनाकारों, कार्यान्वयनकारों, सामुदायिक समूहों, गैर-सरकारी संगठनों आदि के लिए
संस्तुतियाँ और उपायों के सुझाव देना।
निःसंदेह विस्तृत आपदा क्षति आकलन में और अधिक तत्वों जैसे हताहतों
की संख्या की पुष्टि करना, पशुधन की हानि, प्रति हेक्टेयरों में फसलों की क्षति, भवनों की
क्षति, सार्वजनिक कार्यों, व्यवसायों
और जन सुविधाओं की क्षति, तथा कुल आर्थिक हानि आदि को भी
शामिल करने की आवश्यकता होती है।
आकलन से उत्पन्न बुनियादी औँकड़ें निम्नलिखित हैं:
- ·
प्रमाय प्रभावित क्षेत्र पर पड़ा
खतरे का प्रभाव;
- ·
आपदा में बचे लोगों को बचाने और
जीवित रखने के लिए किए जाने वाले तत्काल एवं आपातकालीन उपायों की आवश्यकताएँ एवं
प्राथमिकताएँ;
- ·
प्रयोग के लिए उपलब्ध संसाधन;
- ·
दीर्घकालीन बहाली और विकास को
बढ़ावा देने की संमावनाएँ;
- ·
सूचना निर्देशिका: विभिन्न
सम्बन्धित विभागों के संपर्क विवरण;
- ·
आवास (गॉँव/ गली / वार्ड) विवरण;
- ·
जोखिम की डिग्री सहित गाँव-वार
विभिन्न प्रकार के जोखिम (अति असुरक्षित विवरण);
- ·
भूतकाल की घटनाओं की क्षति और राहत
व्यय के विवरण का रिकार्ड;
- जनगणना के आँकड़े - कृषि और आबादी की गणना, भवन और विभिन्न ढॉँचों का विवरण।
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