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शासन के प्रासंगिक उपयोगों की चर्चा कीजिये।

शासन का प्रयोग कई संदर्भों में किया जाता है। रोडस ने निम्नलिखित पर प्रकाश डाला है :

अल्पतम राज्य के कूप में शासन

   इस अर्थ में, शासन सार्वजनिक हस्तक्षेप के विस्तार एवं प्रकार (रूप) को परिभाषित करता हैऔर 'लोक' सेवाएँ प्रदान करने के लिए बाजार और अर्ध-बाज़ारों के प्रयोग को स्पष्ट करता है ब्रिटेन में, सरकार का परिमाण, निजीकरण एवं नागरिक सेवा के परिमाण, में कटौती करके घटाया गया | फिर भी सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में सार्वजनिक व्यय स्थिर था, स्थानीय शासन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में सार्वजनिक रोज़गार थोड़ा कम रहा; दस विनियामक निकाय स्थापित करके विनिमय ने सरकार के साथ सार्वजनिक हस्तक्षेप के अधिमानित रूप में स्वामित्व का स्थान लिया।

कॉर्पोरेट शासन के रूप में शासन

   यह सार्वजनिक और निजी उद्यमों के शासन से संबंधित है। इस संदर्भ में शासन का तात्पर्य है “वह व्यवस्था जिसके द्वारा संगठनों को निर्देशित और नियंत्रित किया जाता है” | इस प्रकार, स्वभावतः शासन की भूमिका केवल कंपनी के व्यापार को चलाना नहीं है, बल्कि उद्योग को पूरा निर्देशन देने, प्रबंधन के कार्यकारी कार्यों का नियंत्रण और दायित्वों की समुषित जवाबदेही सुनिश्चित करने और विनियामक विन्यासत से भी संबंधित है।

नवीन-लोक प्रबंधन के रूप में शासन

   इसके तीसरे अर्थ के अनुसार, शासन नवीन-लोक प्रबंधन (एनपीएम) से संबंधित है जिसका लक्ष्य कार्यक्षमता, अर्थव्यवस्था और प्रमाविता के तीन प्रमुख उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध करके लोक प्रशासन को बाज़ार आधारित बनाना है। एनपीएम प्रतिस्पर्धी राज्य उपागम की प्रमुख अभिव्यक्ति के रूप में उभरा। इस नवीन प्रतिमान में मूलतः सरकार की संरचना और प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस नए प्रतिमान का अलग-अलग लेबलों (नामों) पुन:निर्माण, गुणवत्ता प्रबंधन और निष्पादन प्रबंधन से व्यापक रूप से प्रयोग हो रहा है । प्रारंभिक तौर पर नवीन-लोक प्रबंधन के दो अर्थ है, इसके पहले अर्थ में, प्रबंधवाद है, यानी निजी क्षेत्र की प्रबंधन पद्धतियों का सार्वजनिक क्षेत्र में प्रयोग करना। इसके दूसरे अर्थ में, यह नवीन संस्थानिक आर्थिक सिद्धांत (को संदर्भित करता है, अर्थात्‌ लोक सेवा व्यवस्था में बाज़ार- प्रतियोगिता को प्रस्तुत करना।

   शासन पर चर्चा करने के लिए नवीन-लोक प्रबंधन प्रासंगिक है, क्योंकि लोक-प्रबंधन के विश्लेषण के लिए संचालन सबसे महत्त्वपूर्ण है और शासन के लिए संचालन शब्द समानार्थी है। ओसबर्न व गेब्लरक्षा0 उदाहरणार्थ, नीति-निर्णय (संचालन) और सेवा-निष्पादन के बीच विमेद करते हैँ। वे तर्क देते हैं कि नौकरशाही सेवा निष्पादन भूमिका निभाने में असफल रही है। इस प्रकार, वे निश्चित सिद्धांतों पर आधारित उद्यमी सरकार का प्रस्ताव रखते हैं। जैसे, सेवा प्रदाताओं के बीच प्रतियोगिता, नागरिक सशकतीकरण, परिणाम पर केंद्रण, प्राधिकार का विकेंद्रीकरण, धन अर्जित करने में शक्तियाँ लगाना, मिशन एवं लक्ष्य, इत्यादि। सुशासन” के रूप में शासन 1992 के बाद शासन का प्रयोग विश्व बैंक द्वारा “सुशासन” के रूप मेँ अभिव्यक्त करने से लोकप्रिय हुआ। विश्व बैंक के लिए, शासन से अभिप्राय है “देश के मामलों का प्रबंधन (नियंत्रित) करने वाली राजनीतिक शक्ति का प्रयोग”“| बैंक ने यह महसूस किया कि सुशासन एक ऐसे वातावरण के निर्माण एवं स्थिरता को प्रमुखता देता है, जो मज़बूत एवं औचित्यपूर्ण विकास का बढ़ावा देता है और यह ठोस आर्थिक नीतियाँ के लिए अनिवार्य पूरक है|

 सुशासन औपचारिक सरकार के कार्यक्षेत्र में भी बढ़कर लोक प्रशासन के कार्यक्षेत्र को विस्तृत करने का एक प्रयास है। दूसरे शब्दों में, यह सरकार को ज्यादा मुक्त, अनुक्रियाशील, जवाबदेह और लोकतांत्रिक बनाने, निजी क्षेत्रों को नियंत्रित करने और नागरिक समाज की  संस्थाओं को सुदृढ़ बनाने की व्यापक सुधार रणनीति है। यह शासन का गुणात्मक आयाम है। यह लोक प्रबंधन के कार्यक्षमता सरोकारों और शासन के जवाबदेही (उत्तरदायित्व) सरोकारों का संयोजन है।

सामाजिक-संतांत्रिक व्यवस्था के रूप में शासन

   कुईमेन, 1993) के अनुसार शासन वह पद्धति या संरचना है जो एक सामाजिक- राजनीतिक व्यवस्था में सम्मिलित सभी अधिनायकों के अंतःक्रियात्मक हस्तक्षेपवादी प्रयास के एक 'सामान्य' परिणाम के रूप में उभरती है। इस पद्धति को एक अधिनायक या अधिनायकों के विशेष समूहों द्वारा घटाया नहीं जा सकता। अन्य शब्दों में, नीतियों के परिणाम केँद्र सरकार के कार्यों के फल नहीं है। सरकार एक कानून पारित कर सकती है लेकिन इसके बाद यह स्थानीय सरकार, स्वास्थ्य प्राधिकारियों, स्वयंसेवी क्षेत्र, निजी क्षेत्र से परस्पर क्रिया करती है और बदले में वे एक दूसरे से अंतर्क्रिया करते है।

   सामाजिक-संतांत्रिक दृष्टिकोण शासन को सामाजिक-राजनीतिक अंतर्क्रिया के रूप में देखता है। यह दृष्टिकोण केंद्रीय अधिनायकों की शासन की सीमाओं का उल्लेख करता है और यह डा दावा करता है कि अब एकल संप्रभु सत्ता नहीं रहेगी। बल्कि प्रत्येक निजी क्षेत्रों के अनुरूप विशिष्ट अधिनायकों की बहुलता, इन सामाजिक-प्रशासनिक अधिनायकों के बीच अंतर्निर्भरता, साझे लक्ष्य, निजी-सार्वजनिक और स्वैच्छिक क्षेत्रों के बीच अस्पष्ट दायरों, नए कार्य रूप, हस्तक्षेप और नियंत्रण हैं।

स्व-संगठित नेटक्‍कों के रूप में शासन

   यह निजी क्षेत्र और स्वैच्छिक अभिकरण द्वारा परस्पर मिलकर सेवाएँ प्रदान करने वाली सरकार की तुलना में शासन को वृहद अर्थ में देखता है। उदाहरणार्थ, ब्रिटिश सरकार अभिकरणों को बनाती है, स्थानीय सरकार को हस्तांतरित करती है, सेवा निष्पादन के लिए विशेष प्रयोग वाले निकायों का प्रयोग करती है और सार्वजनिक-निजी भागेदारी को प्रोत्साहित करती है; इसलिए, ब्रिटिश शासन संरचना में “नेटवर्क” उत्तरोत्तर महत्त्वपूर्ण हो गया है।

   सोपानक्रमों की बजाए यह नेटवर्कों और सहयोगात्मक सरकार द्वारा स॑चालित प्रारूप है। यह तीन अधिनायकों अर्थात्‌ राज्य, बाजार और नागरिक समाज में समानांतर संपर्क पर बल देता है। नेटवर्क सामाजिक समन्वय का अतिव्याप्त रूप है और अंतःसंगठनात्मक संपर्कों को व्यवस्थित करना सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रबंधन के समान ही महत्त्वपूर्ण है।

   उपरोक्त चर्चा से यह स्पष्ट हो गया है कि शासन के कई अर्थ हैं जो दर्शाते हैं कि यह उपयोगी है। इसलिए शासन की एक एकल परिभाषा प्रदान करना कठिन हो गया है। रोड्स के अनुसार इसमें अल्पतम राज्य, एक सामाजिक-संतात्रिक व्यवस्था एवं स्व-संगठित नेटवर्क विशेषता सम्मिलित हैं। उपरोक्त प्रयोगों के आधार पर, शासन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :

  क) संगठनों के बीच अंतर्निर्भरता। शासन, सरकार से अधिक व्यापक है जिसमें गैर-राज्य अधिनायक भी शामिल है; राज्य के दायरों में परिवर्तन का अर्थ सार्वजनिक, निजी एवं स्वैच्छिक क्षेत्रों के बीच की सीमाएँ (दायरे) स्थानांतरित और अस्पष्ट हो गए हैं।

  ख) नेटवर्क के सदस्यों के बीच सतत्‌ अंत्क्रिया जो संसाधन के विनिमय और साझे प्रयोजनों में समझौता (बातचीत) करने से आवश्यकता के कारण होती है।

  ग) अंतःक्रियाएँ जो विश्वास तथा नेटवर्क सहभागिओं की बातचीत एवं सहमति, नियमों द्वारा संचालित होती हैं।

  घ) राज्य से, काफी हद तक स्वायत्तता राज्य नेटवर्क के लिए जवाबदेह नहीं होते हैं, वे स्व-संगठित होते हैं| यद्यपि राज्य स्वायत्त स्थिति को धारण नहीं करता, यह अप्रत्यक्ष और अपूर्ण रूप से नेटवर्क को संचालित कर सकता है।

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