जन केंद्रित दृष्टिकोण सभी मौजूदा आर्थिक दृष्टिकोणों की आलोचना करता है। यह सभी के लिए धन और शिक्षा के पुनः वितरण पर जोर देता है। यह सुलभ स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी जोर देता है। लोगों के रहन-सहन की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार को एक सक्षम प्राधिकरण होना चाहिए। यह दृष्टिकोण सुशासन के सिद्धांतों के कार्यान्वयन के बारे में अधिक संबन्धित है। सुशासन मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने, कानून के शासन के समुचित कार्य, लोकतंत्र को मजबूत करने, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव रखता है। जन-केंद्रित दृष्टिकोण सभी सरकारी गतिविधियों मेँ लोगों की भागीदारी पर बल देता है ताकि उन्हें सशक्त बनाया जा सके। यहां मौजूदा संरचनाओं में बदलाव लाकर भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। भारत में, 73 वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम और उसके बाद के राज्य अधिनियमों ने 'ग्रामसभा' बनाया। विशेष ग्राम पंचायत के सभी पात्र मतदाता ग्रामसभा के सदस्य हैं | राज्य पंचायत अधिनियम और उसके बाद की सरकार के आदेशों ने ग्राम पंचायतों को एक वर्ष में दो से चार ग्रामसभा की बैठकें आयोजित करने के लिए बाध्य किया | ग्राम पंचायतों को अपना विवरण ग्राम सभा को प्रस्तुत करना होगा। वे विभिन्न कार्यक्रमों के लिए लाभार्थियों के चयन पर भी चर्चा करते हैं। ग्रामसभा की बैठकों के अलावा, गैर-सरकारी संगठन, लोगों को शासन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सोशल (सामाजिक) ऑडिट करने में सक्षम बनाते हैं। सोशल ऑडिट एक ऐसा उपकरण है जिसके माध्यम से सरकार गैर-वित्तीय गतिविधियों की योजना, प्रबंधन और माप कर सकती है और विभिन्न क्मागों के सामाजिक और वाणिज्यिक कार्यों के आंतरिक और बाहरी दोनों परिणामों की निगरानी कर सकती है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, देश के सबसे बड़े गरीबी-विरोधी
कार्यक्रम में से एक है, जो अधिकार-आधारित दृष्टिकोण पर
आधारित है, जो वर्ष 2006 से चालू है।
भारत के ग्रामीण परिवारों में वयस्क सदस्य जो अकुशल मैनुअल श्रम करने को तैयार
हैं। यह एक वर्ष में 100 दिनों के काम की कानूनी गारंटी
प्रदान करता है। ग्राम पंचायतों को देश के सभी हिस्सों में कार्यक्रम को लागू करने
के लिए प्रत्यायोजित किया गया है। विभिन्न कारकों ने कार्यक्रम के सफल
कार्यान्वयन में योगदान दिया। विभिन्न हितधारकों की पारदर्शिता, जवाबदेही और भागीदारी के सुशासन के सिद्धांतों को अधिनियम में ही शामिल
किया गया है। कार्य स्थलों और लाभार्थियों के उचित चयन के लिए ग्रामसभा में लोगों
की सक्रिय भागीदारी ने कार्यक्रम को सफलता दिलाई है। सामाजिक अंकेक्षण प्रावधानों
को अधिनियम में शामिल किया गया है। लाभार्थियों के साथ गैर-सरकारी संगठन कार्यक्रम
के सफल कार्यान्वयन को बेहतर बनाने के लिए सोशल ऑडिट का आयोजन करते हैं|
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