वैश्वीकरण की वास्तविकता अचूक है क्योंकि यह हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू जैसे कि आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक या पर्यावरणीय को प्रभावित करती है। यह बहुराष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निगमों या वैश्विक कंपनियाँ द्वारा संचालित एक बाध्यकारी शक्ति हैं जो उच्च गति जन संचार के माध्यम से राष्ट्र की शक्तियों को नष्ट करने और सीमित करने के साथ-साथ व्यक्तियों को नियंत्रित कर अनजाने और दूरवर्ती स्थलों के अधीन करती है। उदाहरण के लिए बहुराष्ट्रीय कार्पोरेशन (निगम) अपने लाभ और शक्ति का विस्तार करने के लिए बहुराष्ट्रीय बैंकों (विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) के सहयोग से वित्त, ऋण और अन्य संसाधनों को आसानी से उपलब्ध कराने के साथ अधिक से अधिक शक्ति प्राप्त करते है, जिसके परिणामस्वरूप, वैश्वीकरण अमीर को अधिक अमीर बनाने के लिए गरीब को अधिक गरीब बनाने के मूल्य पर प्रोत्साहित करता है। यह पृथ्वी, वायु और हवा में पर्यावरणीय प्रदूषण फैलाने में भी योगदान देता है और विश्व के विशेष रूप से विकासशील और विकास के अधीन हिस्सों में सहवर्ती सांस्कृतिक गिरावट में भी इसका योगदान है। इस संदर्भ में नागरिक समाज "दूरस्थ अधिकारों के प्रभाव से दूर, कम से कम, उनकी "स्पष्ट पहुंच” और “अतिक्रमण” से स्वयं को व्यक्त करते हैं और बचाते हैं |
'नागरिक समाज' की व्यापक रूप से स्वीकार की गई परिभाषा आर्थिक और राज्य के बीच स्थित
क्षेत्र को संदर्भित करती है और यह अंतरंग (परिवार), संघों
(स्वैच्छिक संघो), सैद्धांतिक रूप से राज्य से दूर हो गया
हैं, वास्तव में, यह उच्चतम अधिकृत
राज्य द्वारा तैयार औपचारिक नियमों के अंतगर्त काम करता है। काल्डोर ने नागरिक
समाज के विकास को एक सामान्य माध्यम के रूप में देखा, जिसके
द्वारा “नागरिक केवल राज्य के साथ साथ होने की अपेक्षा अतिव्यापी और सत्ता के कई
केद्रों के साथ एक सामाजिक अनुबंध पर समझौता करते हैं।”
डायमंड के संस्थागत दृष्टिकोण
ने नागरिक समाज को आर्थिक संगठनों (उत्पादक और वाणिज्यिक
संघ), सांस्कृतिक संगठनों (धार्मिक, जातीय,
सांप्रदायिक), अनौपचारिक और शैक्षिक संगठनों
(ज्ञान, विचार, समाचार, सूचना की प्रस्तुति और प्रसार), हित आधारित संगठन
(सदस्यों के सामान्य कार्यात्मक या भौतिक हितों को जीतने का लक्ष्य), विकासात्मक संगठन [समुदाय के जीवन के बुनियादी ढाँचे और गुणवत्ता को बेहतर
बनाने के लिए व्यक्तिगत संसाधनों को लेकर संस्थाओं में प्रतिस्पर्धा), राजनीतिक संगठन (दलों, सामाजिक आंदोलनों, नागरिक समूहों) और सामाजिक और भावानात्मक संस्थानों (परिवार) में वर्गकृत
किया। नागरिक समाज उन सामाजिक संगठनों का समूह हैं जो राज्य से स्वायत्तता का आनंद
लेते है और उनके सदस्यों की ओर से राज्य को प्रभावित करने के प्रयास करते है।
नागरिक समाज के संगठन विशेष हितों को आगे बढ़ाने के लिए गठित समूहों के नेटवर्क
हैं और इसमें सभी स्थानीय और बाहरी वित्तीय, निजी, परोपकारी, सामाजिक, विकासात्मक
और व्यावसायिक संगठन सम्मिलित है ।
नागरिक समाज ने बहुत बार गैर
सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ व्यवहार किया है। एनजीओ नागरिक समाज का एक भाग है
जो पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों में संलिप्त होने के कारण सबसे बड़ी महत्व प्राप्त
करते है। गैर सरकारी संगठनों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घटना “वैश्विक नागरिक
समाज" की उत्पत्ति है| इसे वैश्विक स्तर पर स्थानीय गैर
सरकारी संगठनों के अभिसरण के रूप में समझा जा सकता है जो कि सामान्य लक्ष्यों की
खोज में आंदोलनरत हैं और “समग्र रूप से विस्तारित भौगोलिक क्षेत्रों में संलग्न
नेटवर्क द्वारा, स्थानिक पृथक्करणों को पार करते है|”
| कीन
ने वैश्विक नागरिक समाज को "सीमाओं के पार और सरकार की पहुंच के परे समूहों
के विशाल संयोजन” के रूप में परिभाषित किया हैं।' जीसीएस में
गैर लाभकारी, व्यवसायों, सामाजिक
आंदोलनों, पर्यटकों, शिक्षाविदों,
कलाकारों, सांस्कृतिक कलाकारों, नृजातीय और भाषाई समूहों और इत्यादि का विषमरूप सम्मिलित है | कीन ने इसे नियमों और मानदण्डों के आचरण द्वारा शासित एक विकासशील और
समावेशी 'समाजों के समाज” के रूप मे वर्णित किया। राज्य और
बाज़ार को दूरस्थ निर्णयों के स्रोत के रूप में माना जाता है जो समुदाय के जीवन पर
अधिक प्रभाव नहीं डालते, जबकि नागरिक समाज एक नागरिक पहचान
प्रदान करता है, जो अलग अलग होते हुए भी नागरिकों के विभिन्न
समूहों से संबंधित है और राज्य और बाज़ार के बीच मध्यस्थता के रूप में कार्य करते
है।
चाहे वह पर्यावरणीय अधिकारों का
संरक्षण हो, शिक्षा के लिए समर्थन हो या महिलाओं को बढ़ावा
देना, जातीय या धार्मिक, वैश्वीकरण
वैशविक नागरिक समाज (जीसीएस) की प्रगति के परिणाम है। जीसीएस, उपरोक्त कारणों से सौहार्द्र कर रहा है जिसे फाल्क ने “नीचे से "वैश्वीकरण" कड़ा था| यह एक ऐसी प्रक्रिया
है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय बाजार की ताकतों या ऊपर से वैश्वीकरण” का सामना करने के
लिए अंतर्राष्ट्रीय लोकतांत्रिक ताकतों को सम्मिलित,” शामिल किया
है। अप्पादुराई ने इसे “जमीनी स्तर पर वैश्वीकरण” के रूप में परिभाषित किया है,
इसका उद्देश्य वैश्वीकरण द्वारा बनाई गई असमानताओं को दूर करना या
निवारण करना है। जीसीएस ने इसलिए वैश्विक प्रशासन में “विमर्शी एजेंट” का गठन किया
| विशेष रूप से बोहमान ने सुझाव दिया कि जीसीएस को सार्वजनिक
क्षेत्रों की तीन अनिवार्य विशेषताओं को अपनाना चाहिए। 1) सार्वजनिक
चर्चा में भाग लें और विविध तर्क वितर्कों के लिए उदार बनें, 2) स्वतंत्रता और समानता के आदर्शों के लिए प्रतिबद्ध रहें, और 3) "विमर्शी एजेंट” होने के अतिरिक्त
अनिश्चित दर्शकों तक पहुँचें।
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