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कार्यालयी हिन्दी की विशेषताएं बताइए।

 प्रयोजनमूलक भाषा में विभिन्‍न प्रयुक्तियों की पहचान विशिष्ट शब्दावली ओर भाषागत संरचना से होती है। यह विशिष्ट शब्दावली और वाक्य-विन्यास उस विशिष्ट प्रयुक्ति के संदर्भ में तो काफी सार्थक और उपयुक्त होते हैं, परंतु उनका प्रयोग किसी अन्य संदर्भ में कर दिया जाए, तो बड़ा अस्वाभाविक-सा लगेगा। मंत्रालय से आए किसी पत्र को देखकर यदि संबद्ध अधिकारी आदेश दे-'संबद्ध व्यक्तियों में परिचालित करा दें' तो इसका अर्थ होगा कि जिन-जिन अधिकारियों से इसका सम्बन्ध हे, उन्हें दिखा दिया जाए। सामान्य शब्दावली में “परिचालित करा दें” जरा अस्वाभाविक प्रयोग है, जबकि कार्यालयी शब्दावली के अनुसार 'दिखा दिया जाए' अस्वाभाविक प्रयोग है। कार्यालयी हिंदी की शब्दावली सामान्य साहित्यिक या बोलचाल की हिंदी से पूर्णतः अलग होती है। इसकी एक विशिष्ट शब्दावली/ एक विशिष्ट वाक्य-विन्यास होता है। वरिष्ठ अधिकारी, पूर्वानुमति, सक्षम प्राधिकारी, अनुमोदन, पुनर्विचार, मंजूरी, पृष्ठांकित आदि कुछ ऐसे शब्द हैं, जिनका हम सामान्यतः प्रयोग नहीं करते। कार्यालयी हिंदी के अधिकांश वाक्य कर्मवाच्य में होते हैं। जेसे-' प्राप्त कर लिया गया हे ', 'पृष्ठांकित कर दिए गए हें', “मंजूरी दे दी गई।' इन प्रयोगों में कर्ता का विवरण महत्त्वपूर्ण नहीं होता, कार्य का किया जाना महत्त्वपूर्ण होता है। कार्यालयी भाषा में शब्दावली की अन्विति भी बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। जैसे-अधिकारी अपने कर्मचारी को 'आदेश' देता हे, या 'पूछताछ' करता हे, उससे 'राय' नहीं माँगता। रजिस्टर में कोई सूचना 'लिखी' नहीं जाती, 'दर्ज' या “प्रविष्ट' की जाती है। कार्यालय की भाषा औपचारिकता लिए होती हे। औपचारिकता का पालन स्तर-भेद की दृष्टि से तो किया ही जाता है, मानकीकरण और शिष्टाचार की दृष्टि से भी किया जाता हे। उसमें हिंदी के मानक खड़ी बोली के रूप को अपनाया जाता है।

कुछ उदाहरण देखिए-

  • 1. “नगर के बाहर जाने से पूर्व अपने वरिष्ठ अधिकारी की पूर्वानुमति आवश्यक हे।'
  • 2. “सक्षम प्राधिकारी का अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया हे।'
  • 3. 'पुनर्विचार के पश्चात योजना को मंजूरी दे दी गई।!
  • 4. “आदेश सभी संबद्ध कार्यालयों को पृष्ठांकित कर दिए गए हैं।'
  • 5. “संवितरण अधिकारी ने बिलों पर हस्ताक्षर कर दिए हें।'
  • 6. “कर्मचारियों को पेंशन के अतिरिक्त लाभ-वेतन आयोग की संस्तुति के अनुसार ही दिए जा रहे हें।'
  • 7. प्रस्ताव अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया हे।'
  • 8. “गजट में अधिसूचनाएं हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छपती हें।'
  • 9. “यह कार्रवाई अधिनियम की धारा 3 उपधारा 2 के अधीन की जा रही हे।'
  • 10. * श्री.................« को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है कि विगत एक माह से कार्यालय से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के आधार पर उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई क्‍यों न की जाए।'
  • 11. “राजभाषा अधिनियम के अनुच्छेद 343 की धारा 3 की उपधारा 3 में उल्लिखित दस्तावेज द्विभाषिक रूप से तैयार किया जाता है।'
  • 12. “श्री............... को..................... के वेतनमान में तदर्थ आधार पर नियुक्त किया जाता है।'

(1) इन वाक्यों में प्रयुक्त तकनीकी शब्दावली की दृष्टि से पहले पांच वाक्यों में निम्नलिखित पारिभाषिक शब्द आए हैं-“वरिष्ठ अधि कारी ' पूर्वानुमति', 'सक्षम प्राधिकारी, ' अनुमोदन ', 'पुनर्विचार', “मंजूरी ', 'पृष्ठांकित', 'संवितरण अधिकारी ', आदि। दैनिक प्रयोग में इस शब्दावली का प्रयोग सामान्यतः नहीं होता। “मंजूरी' शब्द का प्रयोग सामान्य व्यवहार में होता है, किन्तु प्रशासनिक संदर्भ में 'मंजूरी' शब्द का तकनीकी अर्थ होता है। क्योंकि व्यक्ति मंजूरी देने में सक्षम नहीं होता। अपनी प्रस्थिति के अनुरूप ही किसी अधिकारी को शक्तियां प्राप्त होती हैं। वह उन्हीं के संदर्भगत विषयों की मंजूरी देता है। अन्य सभी शब्द प्रशासनिक संदर्भों से पृथक संदर्भों में प्रयुक्त होने पर सार्थक व प्रासंगिक प्रतीत नहीं होते।

(2) वाक्य-विन्यास की दृष्टि से अधिकांश वाक्य कर्मवाच्य हैं-यथा-' प्राप्त कर लिया गया है', 'पृष्ठांकित कर दिए गए हें', “मंजूरी दे दी गई है।' इन प्रयोगों के कर्त्ता की अपेक्षा कार्य का किया जाना महत्त्वपूर्ण होता हे।

(3) शब्दावली की अन्विति कार्यालयी भाषा के स्वरूप में अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य हैं-अन्विति कार्यालय की कार्यविधि से संबंधित होती है, यथा-' अनुमोदन '/ मंजूरी ', के लिए “मामला', “सक्षम प्राधिकारी ' को “प्रस्तुत” किया जाना। “अधिकारी ' अपने “कर्मचारी ' को 'आदेश' देता हे/उससे 'पूछताछ करता हे /वह 'राय' नहीं मांगता। रजिस्टर में कोई सूचना 'लिखी न जाकर' “दर्ज / प्रविष्ट' की जाती है।

(4) कार्यालय की भाषा की अन्य विशेषता हे-ओपचारिकता। ओऔपचारिकता का पालन स्तर भेद के साथ-साथ मानकीकरण व शिष्टाचार की दृष्टि से भी किया जाता हेै। हिंदी के विभिन्‍न बोलीगत रूपों की अपेक्षा मानक खड़ी बोली को अपनाया जाता हे। सर्वनामों में से केवल “'आप' का ही प्रयोग किया जाता हे। क्रिया रूपों में 'गया/ “गई” की अपेक्षा “गए! / “गई” का प्रयोग होता है।

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