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विकास के अर्थ तथा क्षेत्र का वर्णन कीजिए।

 विकास समाज के सभी पहलुओं से संबंधित है जिसमें सामाजिक राजनीतिक, आर्थिक पहलू शामिल हैं। इसमें समाज में परंपरागत से आधुनिक में संरचनात्मक परिवर्तन के चरण शामिल हैं। आमतौर पर इस परिवर्तन से एक पारंपरिक कृषि समाज का आधुनिक औद्योगिक समाज में रूपांतर होने का संकेत मिलता है। सामाजिक विज्ञान में, विकास की अवधारणा को समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में एक और दूसरी तरफ अर्थशास्त्र में, अलग तरह से देखा गया है। समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में बदलाव की दृष्टि से विकास पर विचार किया गया है, जो पारंपरिक समाज तथा आधुनिक राजनीतिक संस्थाओं के बीच संवाद के कारक होता है। विकास की इस समझ के कारण पारंपरिक समाज और आधुनिक संस्थाओं में मौलिक परिवर्तन दिखाई दिया है। इस प्रकार समाज निचले स्तर से उच्च स्तर की ओर विकास करता है। यह बदलाव आधुनिकता का विकास के रूप में भी देखा जा सकता है। इस तरह के विकास के सिद्धांत को हम आधुनिकीकरण या विकास सिद्धांत कहते हैं। आधुनिकीकरण या विकास के प्रमुख विद्धान राजनीति विज्ञान में डेविड ईस्टन, गेब्रियल आमंड और कोलामेन को जाना जाता है जबकि समाजशास्त्र में तालकोट पार्सन्स को जाना जाता है।

   कई राजनीति शास्त्रियों एवं समाजशास्त्रियों ने भारत में आधुनिकीकरण या विकास के सिद्धांत में राजनीति एवं सामाजिक प्रक्रियाओं को समझने का प्रयास किया है। आधुनिकीकरण या विकास सिद्धांत गैर-मार्क्सवादी विचार का प्रतिनिधित्व करता है। अपनी पुस्तक 'द स्टेजेस ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ: ए नान कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो (1990) में डब्ल्यू- डब्ल्यू रोस्टो ने विकास सिद्धांत को गैर-मार्क्सवादी बताया है। अर्थशास्त्र में विकास की धारणा में वर्ष दर वर्ष परिवर्तन आया है। इस विषय में परंपरागत विकास ने तरक्की और वितरण को रेखांकित किया है। इसके परिणामस्वरूप इसका अर्थ जनता का कल्याण और मानव विकास हुआ। विकास की कल्याणकारी धारणा का आशय उन नीतियों के माध्यम से प्राप्त विकास से है जो स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीबी के उन्मूलन मामले में खासकर पिछड़े लोगों के कल्याण के लिये बनाई गयी है। विकास के कल्याणकारी विचारों में राज्य कल्याणकारी नीतियों को बनाने और कार्यान्वित करने में अग्रणी भूमिका निभाता है। विकास की कल्याणकारी धारणा ब्रिटिश अर्थशास्त्री जोन मेनार्ड केन्स द्वारा 1984 में रचित अपनी किताब जनरल थवियोरी ऑफ एम्पलोयमेंट इन्ट्रेस्ट एण्ड मनी के माध्यम से प्रचारित की गयी। उन्होंने यह तर्क दिया कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को पुनर्वितरण की असफलता का सामना करना पड़ रहा है। यह प्ूंजीगदी अर्धव्यवस्था में आय को केंद्रीकरण के कारण होता है। इससे समाज में राजनैतिक और सामाजिक अस्थिरता पैदा हो सकती है। उनकी राय में एक कल्याणकारी राज्य को पूर्ण स्तरीय रोजगार प्राप्त करने की नीतियों का कार्यान्वयन करना चाहिए जिससे समाज का विकास हो सके। 1970 के दशक के उत्तर्रा्धि में कल्याणकारी राज्य से बाजार की ओर विकास का फोकस हुआ।। यह अमरीका में रोनाल्‍ड रीगल एवं यूके. में माग्रेर शैचर के अधीन हुआ। इससे विभिन्‍न सामाजिक क्षेत्रों में बाजार की भूमिका बढ़ी तथा राज्य के कल्याणकारी नीतियों से पीछे हटने की संभवनाएं पैदा हुई।

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