वें संविधान संशोधन अधिनियम की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार है।
क) सभी
राज्य जिनकी जनसंख्या 20 लाख से ऊपर है वहां पर त्री-स्तरीय
पंचायती राज व्यवस्था का प्रावधान किया गया। इसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिती एवं जिला परिषद का गठन किया गया। ग्राम पंचायत ग्राम स्तर पर,
पंचायत समिती खंड या मध्य स्पर पर तथा जिला परिषद जिला स्तर पर।
ख)
प्रत्येक पाँच वर्ष में पंचायतों का चुनाव करवाना तथा पंचायत के विघटन के बाद 6 महीने के अंदर चुनाव करवाना आवश्यक माना गया।
ग) सभी
स्तर पर पंचायतों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के वर्गों अन्य पिछड़े
वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी एवं महिलाओं के लिए अलग से 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गयी।
घ)
पंचायतों के विभिन्न अधिकारों के लिए राज्य वित्त आयोग की नियुक्ति की सिफारिश की।
ड) एक जिला
योजना समिति का गठन करना ताकि वह एक ड्राफ्ट तैयार कर सके जिले के संपूर्ण विकास
के लिये।
73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम का प्रमुख लक्ष्य था ग्राम पंचायतों को अधिक
से अधिक शक्तियां प्रदान करना ताकि ये संस्थाएं स्थानीय स्व-शासन, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की संस्था के रूप में विकसित हो सके। इस
उद्देश्य के लिए इन्हें 29 विषयों पर योजनाऐँ लागू करने का
अधिकार दिया गया। ग्यारहवीं अनुसूची में इन 29 विषयों को
शामिल किया गया है जिसमें मुख्य रूप से ये विषय है :- कृषि से संबंधित, भूमि सुधार, लघु सिंचाई. ग्रामीण आधारभूत ढ़ाँचा,
गरीबी उन्मूलन, महिला एवं बाल विकास, कमजोर वर्गों का कल्याण तथा प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा इत्यादि। इन
विषयों को संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में रखा गया है। इस अधिनियम के अनुसार,
पंचायतों को राज्य द्वारा यह भी अधिकार दिया गया है कि इन पर कानून
बना सके:- राज्य द्वारा निर्धारित कर, यातायात कर एवं अन्य
करों का संग्रहण करना, राज्य द्वारा संग्रहित करों में अपना
हिस्सा मॉगना तथा राज्य की निधि से अनुदान प्राप्त करना।
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